शब्द और पद :
शब्द भाषा की स्वतंत्र और अर्थवान इकाई है! शब्द और ‘पद’ में क्या अंतर है, आइए समझते है! शब्द जब स्वतंत्र रूप से प्रयुक्त होता है और वाक्य के बाहर होता है तब तक यह शब्द कहलाता है, किंतु जब शब्द वाक्य के अंग के रूप में प्रयुक्त होता है, तब यह पद कहलाता है! जैसे ‘लड़का’ एक शब्द है, लेकिन लड़का पुस्तक पढता है में लड़का एक पद है!
जो शब्द अर्थ कोश से प्राप्त हो जाए वो कोशकीय शब्द होते हैं, लेकिन कुछ शब्द अर्थ कोश से प्राप्त नहीं हो पाता है, क्योंकि वो कोशीय अर्थ के साथ साथ संदर्भपरक अर्थ भी लिए होता है, जैसे – लडके, लडकों आदि!
कोशीय शब्द और व्याकरणिक शब्द :
भाषा में कोशीय शब्द से व्यक्ति, वस्तु, विचार या भाव का बोध होता है! कोशीय शब्दों का तात्पर्य अर्थवान शब्दों से है, किंतु पूर्ण अर्थ प्रकट करने के लिए उन्हें वाक्य में प्रयुक्त करना पड़ता है! कुछ कोशीय शब्द व्याकरणिक कार्य भी करते हैं; जैसे –
(i) मैं आजकल सचिन के घर नहीं जाता!
(ii) मुझसे आजकल खाना नहीं खाया जाता!
पहले वाक्य में जाता कोशीय अर्थ दे रहा है, दुसरे वाक्य में जाता सिर्फ व्याकरणिक अर्थ दे रहा है!
व्याकरणिक शब्द मुख्य अर्थ न देकर व्याकरणिक अर्थ का काम करता है! जिससे मुख्य अर्थ में विशेष अर्थ आ जाता है; जैसे –
(i) आदिवासी जंगल में रहते हैं!
(ii) जंगल की आग में कई महीनों तक पेड़ पौधे जलते रहते हैं!
पहले वाक्य में रहते (रहता) कोशीय अर्थ दे रहा है, दुसरे वाक्य में रहते सिर्फ व्याकरणिक अर्थ दे रहा है!
पद भेद :
निम्नलिखित वाक्य पढ़िए –
१. लड़का दौड़ता है! २. छोटा लड़का दौड़ता है! ३. छोटे लड़के पीछे पीछे दौड़ते हैं! ४. वह दौड़ता है! ५. वे तेज दौड़ते हैं!
उपर्युक्त वाक्य में ‘लड़का’, ‘लड़के’ – संज्ञा पद हैं! छोटा, छोटे – विशेषण हैं! वह, वे – सर्वनाम हैं! दौड़ता है, दौड़ते हैं – क्रिया है! पीछे पीछे, तेज – अव्यय हैं!
इस प्रकार पद के पाँच भेद हैं –
१. संज्ञा २. सर्वनाम ३. विशेषण ४. क्रिया ५. अव्यय (अविकारी) – क्रिया-विशेषण, संबंध-बोधक, समुच्चबोधक (योजक), विस्यमयादिबोधक!
उपर्युक्त वाक्यों में ‘लड़का’ का ‘लड़के’, दौड़ता का दौड़ते, वह का वे, छोटा का छोटे रूप बने हैं, किंतु ‘पीछे पीछे’, ‘तेज’ का रूप नहीं बदला है! अतः हम कह सकते हैं की
१. वाक्य में प्रयुक्त होने पर जिन शब्दों का रूप बदल जाता है उन्हें विकारी पद कहते हैं; जैसे – संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया!
२. जिन शब्दों का रूप नहीं बदलता उन्हें अविकारी (अव्यय) कहते हैं; जैसे – क्रिया-विशेषण, संबंध-बोधक, समुच्चबोधक (योजक), विस्यमयादिबोधक!
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