प्रत्येक भाषा में नए नए शब्द बनाए जाने की प्रक्रिया निरंतर चलती रहती है! इसे ‘शब्द निर्माण’ प्रक्रिया कहते हैं! मूल शब्दों में कुछ शब्दांश या शब्द जोड़कर नए शब्दों का निर्माण किया जाता है! यह शब्द निर्माण तीन प्रकार से होता है –
१. उपसर्ग द्वारा २. प्रत्यय द्वारा ३. समास द्वारा
१. उपसर्ग ( Prefix ) – ये वे लघुतम शब्दांश जो शब्दों के प्रारंभ में लगकर नए शब्दों का निर्माण करते हैं; जैसे – अ + धर्म = अधर्म! हिंदी में तीन प्रकार के उपसर्ग हैं – (i) तत्सम (संस्कृत के) उपसर्ग (ii) तद्भव (हिंदी के) उपसर्ग (iii) आगत (विदेशी) उपसर्ग
२. प्रत्यय ( Suffix ) – नए शब्दों की रचना में प्रत्यय अहम् भूमिका निभाते हैं! ये किसी शब्द के ‘पीछे’ लगते हैं! ऐसे शब्दांश जो किसी शब्द के अंत में लगकर उसके अर्थ को नया रूप देते हैं प्रत्यय कहलाते हैं; जैसे – दूधवाला, गरमाहट आदि! हिंदी भाषा में प्रत्यय के दो भेद होते हैं –
(i) कृत प्रत्यय – क्रिया के मूल रूप के पीछे लगकर संज्ञा और विशेषण शब्दों की रचना करने वाले प्रत्यय को कृत प्रत्यय कहते हैं! कृत प्रत्यय से बने शब्दों को कृदंत कहते हैं; जैसे – पढ़ + आकू = पढ़ाकू आदि!
(ii) तद्धित प्रत्यय – संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण आदि शब्दों के पीछे लगकर जो प्रत्यय शब्द बनाते हैं, उन्हें तद्धित प्रत्यय कहते हैं! जैसे – देव + त्व = देवत्व आदि!
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