स्वतंत्रता के स्वर्ण विहान हिन्दुस्थान हो! गीत, अगीत, अनुगीत के विधान तुम कविता की शब्द-चारूत्ता के शोभा-धाम हो! भूधर-विपिन-लतादिक,...
Read moreDetailsदुर्दमनीय तलवारें लिखें! विश्व धरातल पर हुए अक्षम्य इतिहासों के लिकों को लिखें मानवता के गहनों के विध्वंसक चीखों को...
Read moreDetailsबन्धुवर अब तो आ जा गांव! खोद रहे नित रेत माफिया नदिया की सब रेती चर डाले हरियाली सारी...
Read moreDetailsतपती गर्मी का दिन था। आसमान में उड़ते एक कौवा को तेज गर्मी की वजह अचानक बहुत तेज प्यास लगी,...
Read moreDetails