आलोक पाण्डेय

आलोक पाण्डेय

देवत्व व् असुरत्व के द्वंद में प्रकृति, अपने पुरुषोत्तम के अवतरण की पृष्ठभूमि रच रही है

देवत्व व असुरत्व के इस द्वंद, वैमनस्य व अंतर्विरोध के बीच प्रकृति, अपने अधिष्ठान पुरुषोत्तम के प्रतिष्ठित अवतरण की पृष्ठभूमि...

स्वतंत्रता के स्वर्ण विहान हिन्दुस्थान हो!

स्वतंत्रता के स्वर्ण विहान हिन्दुस्थान हो!   गीत, अगीत, अनुगीत के विधान तुम कविता की शब्द-चारूत्ता के शोभा-धाम हो! भूधर-विपिन-लतादिक,...

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