Badrinath Temple | जब भी बात होती है उत्तराखंड की तो आंखों के सामने बर्फीले पहाड़, खूबसूरत वादियां अपने आप ही आ जाती है। देवभूमि के नाम से मशहूर उत्तराखंड को छोटे चार धाम के रूप में भी जाना जाता है। यहां पर मौजूद बद्रीनाथ मंदिर के बारे में तो आपने सुना ही होगा। यहां पर हर साल एक ऐसी घटना घटित होती है जिसे यह लगता है कि जल्दी ही यह मंदिर नष्ट हो जाएगा लेकिन इस मंदिर को खरोच तक नहीं आती। ये अपने आप में ही एक बड़ा रहस्य है। हर साल ये मंदिर भारी बर्फ से ढक जाता है और फिर इसका पूर्ण रूप से सुरक्षित निकल आना किसी चमत्कार से कम नहीं। चलिए जानते हैं इस मंदिर की विशेषताओं के बारे में.
दुनिया भर में प्रसिद्ध बद्रीनाथ धाम कई रहस्य है। अभी तक आप यहां गए या नहीं गए हैं यह तो हम नहीं जानते लेकिन आपके मन में कभी यह ख्याल आया कि यहां पर ऐसी कई घटनाएं घटित हुई है जिसका कोई वैज्ञानिक कारण नहीं है। जैसे कि, यह 6 महीने के लिए पूरी तरह से बंद हो जाता है, इसके बावजूद इसमें जलने वाली अखंड ज्योति 6 महीने तक जलती रहती है। यह अपने आप में एक बड़ा रहस्य है। सोचने वाली बात है कि क्या यह एक अदृश्य शक्ति है या फिर कुछ और है जो इस दिव्य प्रकाश को 6 महीने तक जलाए रखती है। कपाट बंद होने के बावजूद यह दिव्य शक्ति बुझती नहीं।
जब कपाट खुलते है तो यहां पर ताजे फूल भी मिलते है जो किसी चमत्कार से कम नहीं है। ऐसे में सवाल पैदा होते है कि, ऐसी कौनसी अदृश्य शक्ति है जो 6 महीने तक इस मंदिर की रक्षा करती है। अक्सर आपने देखा होगा मंदिरों में शंख बजाना शुभ माना जाता है। वही भगवान विष्णु को तो शंख बहुत पसंद है लेकिन भगवान विष्णु को समर्पित बद्रीनाथ के इस मंदिर में कभी भी शंख नहीं बजाया जाता। इसके पीछे बड़ा सवाल निकाल कर आता है कि आखिर ऐसा क्यों? इसकी खास वजह क्या है?
दरअसल, बद्रीनाथ में शंख न बजाने के पीछे कई वैज्ञानिक फैक्ट जुड़े हुए हैं। अगर यहां शंख बजता है तो उसकी ध्वनि पहाड़ों से टकराकर प्रतिध्वनि पैदा करती है। इस कारण बर्फ में दरार पड़ने या फिर बर्फीले तूफान आने की आशंका बन सकती है। वहीं वैज्ञानिकों का मानना है कि, पहाड़ी इलाकों में लैंडस्लाइड भी हो सकता है।
बात की जाए इस मंदिर की उत्पत्ति के बारे में तो विष्णु पुराण बद्रीनाथ की उत्पत्ति का एक संस्करण बताता है कि यम के दो पुत्र थे नर और नारायण जिन्होंने धर्म के प्रसार के लिए इसी पवित्र स्थान को चुना था। इस मंदिर की स्थापना आदि शंकराचार्य ने की थी। मंदिर के पास एक विशाल वृक्ष भी है। इस दौरान देवी लक्ष्मी ने बेरी के पेड़ के रूप में उनकी रक्षा की थी।
मान्यता है कि, भगवान विष्णु लक्ष्मी की भक्ति से प्रभावित हुए और पेड़ का नाम बद्री विशाल रखा। तीर्थस्थल का नाम इसी पेड़ के नाम पर रखा गया है। बेरी को बद्री के नाम से जाना जाता था और देवी लक्ष्मी ने उस समय भगवान विष्णु का नाम बद्रीनाथ रखा था। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान विष्णु एक बार इस पेड़ के पास ध्यान करने के लिए बैठे थे। ऐसे में तीर्थ स्थल लोग भी बद्रीनाथ आते हैं तो इस पेड़ के नीचे बैठकर आत्मज्ञान की तलाश में ध्यान लगाते हैं
बद्रीनाथ मंदिर के पास एक गर्म कुंड भी है जिसका पानी हमेशा गर्म रहता है। हैरान कर देने वाली बात यह है कि चारों ओर से बर्फ से ढके इस पहाड़ में आखिर कैसे इस कुंड में गर्म पानी रह सकता है। इसके पीछे कि मान्यता है कि, यह भगवान अग्नि देव का निवास स्थान है जिसके कारण इसका पानी हमेशा गर्म रहता है।
ऐसा भी कहा जाता है कि यह मंदिर जल्द ही विलुप्त हो सकता है। इसके पीछे का सबसे बड़ा कारण यह बताया जाता है कि बद्रीनाथ धाम दो पर्वतों नर और नारायण के बीच स्थित है। बद्रीनाथ मंदिर का जोशीमठ के नरसिम्हा मंदिर से गहरा संबंध बताया जाता है। कहा जाता है कि नरसिंह मंदिर की एक भुजा समय के साथ पतली होती जा रही है। वहीं स्थानीय लोगों ने बताया कि जिस दिन यह टूट जाएगा नर और नारायण पर्वत विलीन हो जाएंगे। उसके बाद बद्रीनाथ मंदिर भी विलुप्त हो जाएगा और शायद ही कोई फिर इसका दर्शन कर पाए। Badrinath Temple | Uttarakhand History | Sanatan Religion | Badrinath History | Badrinath Mystery | Ganga News