Kumbhalgarh Fort | भारत देश ऐसे ही दुनिया भर में प्रसिद्ध नहीं है। यहां के लोग तो अपने आवभाव से विदेशियों का दिल जीत ही लेते हैं लेकिन यहां की जगह भी ऐसी हैं जो हर किसी को लुभाती है। यही वजह है कि, हर साल कई सैलानी हमारे यहां आते हैं। दोस्तों देश की खूबसूरती की बात हो और इसमें राजस्थान का नाम ना आए ऐसे कैसे हो सकता है? यदि आप राजस्थान के बारे में बात करेंगे तो यहां पर आपको कई ऐसी ऐतिहासिक जगह देखने को मिलेगी जिसकी अपनी एक खासियत होती है। राजस्थान अपनी खूबसूरती के साथ-साथ अपने अनूठी परंपराओं के लिए भी दुनिया भर में प्रसिद्ध है।
इसी फेहरिस्त में आज हम आपको बताएंगे राजस्थान में ही स्थित एक ऐसे किले के बारे में जो राजस्थान की शान में भी चार चांद लगाता है। इस किले का नाम है कुंभलगढ़ किला जिसकी खूबसूरती निहारने के लिए लोग दूर-दूर से यहां पर आते हैं। यह किला दिखने में जितना खूबसूरत है उतना ही शानदार इसका इतिहास भी रहा है। यह किला अपनी विशाल दीवारों के लिए जाना जाता है। 36 किलोमीटर तक फैली इसकी दीवारें ‘चीन की ग्रेट वॉल’ के बाद दुनिया की सबसे लंबी दीवारें मानी जाती है।
यह किला राजस्थान के राजसमंद जिले में स्थित अरावली पहाड़ों की पश्चिम श्रृंखला पर उदयपुर से लगभग 84 किलोमीटर दूर है। इस किले का निर्माण 15वीं शताब्दी में मेवाड़ क्षेत्र के शासक राणा कुंभा ने करवाया था। दिलचस्प बात यह है कि यह स्थान महान राजपूत राजा महाराणा प्रताप का जन्म स्थान था। इस किले को इस तरह से बनाया गया था कि इसकी हर एक चीज दुश्मन से बचाने से मदद करती थी। इस किले में 7 दरवाजे हैं, 133 पर्वत चोटियां और कई वाच टावर है जिसके माध्यम से दुश्मनों पर निगरानी रखी जाती थी।
इसके 7 प्रवेश द्वारों का नाम अरेट पोल, हनुमान पोल, राम पोल, विजय पोल, निंबू पोल, पाघरा पोल और टॉप खाना पोल है। दोस्तों यह महल तो अपनी खूबसूरती और बनावटी से लोगों को अपनी ओर खींचता ही है। लेकिन इसकी खासियत एक ये भी है कि इस महल के अंदर भी एक और महल है जिसे ‘बादल महल’ कहा जाता है। जी हां… दोस्तों, यह महल किले के सबसे ऊंचे स्थान पर स्थित है जहां से बादलों का बहुत ही मनमोहन दृश्य दिखाई देता है। इस वजह से इस महल को बादल महल भी कहा जाता है।
इसके अलावा इस किले में शिव मंदिर, वेदी मंदिर, नीलकंठ महादेव मंदिर और मम्मदेव मंदिर भी स्थित हैं। अपनी खूबसूरती और खूबियां की वजह से कुंभलगढ़ के इस किले को यूनेस्को धरोहर की सूची में भी शामिल कर लिया गया है। जब पर्यटक इस किले की खूबसूरती को निहारने आते हैं तो यहां पर शानदार लाइट और साउंड शो के माध्यम से किले से जुड़े इतिहास का वर्णन किया जाता है।
किले को लेकर ऐसा कहा जाता है कि जब इसका निर्माण चल रहा था तो इसकी लंबी-लंबी दीवारें बार-बार धसने लगी। ऐसे में एक साधु के कहने पर यहां पर मानव बलि दी गई जिसके बाद इस किले का निर्माण कार्य दोबारा शुरू किया गया। हालांकि इस बात में कितनी सच्चाई है यह तो कोई नहीं जानता, लेकिन कहा जाता है कि जिस इंसान की बलि दी गई थी उसका नाम मेहर बाबा था। रिपोर्ट के मुताबिक बलि देने के लिए मेहर बाबा का सर धड़ से अलग कर दिया गया और जहां पर मेहर बाबा का सर गिरा था वहां पर मेहर बाबा का मंदिर भी बनाया गया।
समुद्र तल से तकरीबन 1914 की ऊंचाई पर बना इस किले में एक साथ चार घोड़े जा सकते हैं। इसी किले में करीब 360 मंदिर भी मौजूद है। कहते हैं इस किले में सबसे पहले अलाउद्दीन खिलजी के द्वारा हमला किया गया था। इसके बाद दूसरा हमला इस पर अहमद शाह ने किया हालांकि इन सभी को इस पर असफलता हाथ लगी। यही नहीं दोस्तों, साल 1458,1459 और 1467 में महमूद खिलजी ने इस पर बार-बार आक्रमण किया लेकिन वह हमेशा नाकाम रहे। वही मारवाड़ के राजा उदय सिंह, राजा मानसिंह और गुजरात के मिर्जा ने भी इस किले पर कई बार आक्रमण किया है, किंतु इस किले का कुछ भी नहीं बिगाड़ पाए। Kumbhalgarh Fort | Rajasthan History | Rana Kumbha | Incredible India | Gauravshali Bharat