‘विराम’ का शाब्दिक अर्थ होता है ठहरावI भावों और विचारों की अभिव्यक्ति को स्पष्ट एवं बोधगम्य बनाने के लिए विराम-चिह्नों ( Viram Chinh ) का प्रयोग आवश्यक हैI
आपने देखा होगा की बोलते समय सभी वाक्यों को लगातार नहीं बोला जाताI व्यक्ति अपने मन की बात को स्पष्ट और बोधगम्य बनाने के लिए बिच बिच में रुकता हैI कहीं हम अधिक समय रुकते हैं तो कहीं कमI कहीं हम अधिक बल देते हैं और कहीं कमI वाक्य के बोलने में उसके स्वर में उतार चढ़ाव आता है, तभी उसकी प्रस्तुति सहज ग्राह्य बनती हैI
लिखित भाषा में स्थान विशेष पर रुकने अथवा उतार चढ़ाव आदि को दिखाने के लिए विभिन्न प्रकार के चिह्नों का सहारा लेना पड़ता हैI ये चिह्न ही विराम चिह्न ( Viraam Chinha ) कहलाते हैंI उदहारण के लिए –
रवि आगरा जाएगा I (सामान्य सूचना कथन)
रवि आगरा जाएगा ? (प्रश्नवाचक कथन)
रवि आगरा जाएगा ! (आश्चर्यसूचक कथन)
उपर्युक्त वाक्यों में I, ?, ! ये संकेत (चिह्नों) ही वाक्यों के अर्थ में अंतर दे रहे हैंI जबकि तीनों वाक्य रूप और संरचना की दृष्टि से एक ही हैंI मौखिक या बोलचाल की भाषा में ऐसी अनेक युक्तियाँ हैं ( जैसे रुकना, कहीं बल देना, कहीं भिन्न भिन्न अनुतान के साथ बोलना आदि) जिनका प्रयोग प्रायः हर भाषा बोलचाल के समय करता हैI लिखित भाषा में इन्हीं मौखिक युक्तियों के लिए विराम चिह्न बना लिए गए हैंI इनसे वाक्य-विन्यास और भावों की अभिव्यक्ति में स्पष्टता आ जाती है और सौंदर्य भी बढ़ जाता है; जैसे –
१. रोको मत जाने दो (अर्थ स्पष्ट नहीं है)
२. रोको, मत जाने दो (अर्थ स्पष्ट है)
३. रोको मत, जाने दो (अर्थ सपष्ट है)
भावों और विचारों को स्पष्ट करने के लिए जिन चिह्नों का प्रयोग वाक्य के बिच या अंत में किया जाता है, उन्हें विराम-चिह्नों कहते हैंI हिंदी में प्रचलित प्रमुख विराम-चिह्न निम्नलिखित हैं –
- पूर्ण विराम – I
- अर्द्ध विराम – ;
- अल्प विराम – ,
- प्रश्नसूचक – ?
- विस्मयसूचक – !
- उद्धरण चिह्न – ‘ ‘
- योजक चिह्न – –
- कोष्ठक – ( )
- लाघव या संक्षेपक – ०
- त्रुटिपद या हंसपद – ^
- विवरण चिह्न – :—-
- उपविराम – :
- निर्देशक चिह्न – —-
१. पूर्ण विराम (Full Stop) – सामान्य वाक्य के पूरा होने पर अंत में पूर्ण विराम का प्रयोग किया जाता हैI इसका चिह्न (I) होता हैI इस चिह्न को खड़ी पाई कहते हैंI वाक्य चाहे कितना सरल हो या संयुक्त हो अथवा मिश्र हो, यदि सामान्य कथन वाला वाक्य है तो अंत में पूर्ण विराम का प्रयोग किया जाता है; जैसे – पुष्पा ने निबंध लिख लिएI
२. अर्द्ध विराम (Semi Colon) – इसका प्रयोग पूर्ण विराम से कम समय तक ठहराव के लिए करते हैंI इसका चिह्न (;) होता है! इसका प्रयोग उदाहरण देते समय, समानाधिकार उपवाक्यों के बिच, किसी उपवाक्य पर विशेष बल देने, दो तीन वर्गों के बिच में तथा मिश्र और संयुक्त वाक्य में विपरीत अर्थ प्रकट करने वाले उपवाक्यों के बिच में करते हैं; जैसे – नाटक समाप्त हुआ; दर्शक चले गएI
३. अल्प विराम (Comma) – अल्प विराम का प्रयोग वहाँ किया जाता है जहाँ अर्द्ध विराम से कम समय के लिए ठहराव होता हैI इसका चिह्न ( , ) होता हैI अल्प विराम का प्रयोग समान शब्दों को अलग करने के लिए, वाक्य के बिच में आए उपवाक्य को अलग करने के लिए, किसी शब्द पर बल देने के लिए, पत्रों के संबोधन और समापन के लिए, उद्धरण से पहले, हाँ या नहीं के बाद, तारीख को अलग करने के लिए, उपाधियों को अलग अलग दर्शाने के लिए, पता लिखते समय और एक ही शब्द या वाक्यांश की पुनरावृति होने पर इसका प्रयोग होता है; जैसे – दौड़ो, दौड़ो आग लग गईI ईमानदारी, इसे आज पूछता कौन है?
४. प्रश्नसूचक ( Sign of Interrogation ) – प्रायः प्रश्न किए जाने वाले वाक्यों के अंत में प्रयोग किया जाता हैI इसका चिह्न ( ? ) होता हैI इसका प्रयोग प्रश्नवाचक वाक्यों के अंत में, संदेह या अनिश्चय के भाव पैदा करने के लिए, व्यंग प्रकट करने के लिए और यदि एक ही वाक्य में कई प्रश्नसूचक उपवाक्य हों तो पूरे वाक्य की समाप्ति पर ही प्रश्नसूचक चिह्न लगाया जाता है; जैसे – क्या तुमने काम कर लिया ?
५. विस्मयसूचक (Sign of Exclamation ) – विस्म्यादिसूचक का प्रयोग विस्मय, हर्ष, घृणा, शोक आदि भावों को प्रकट करने के लिए किया जाता हैI इसका चिह्न ( ! ) होता है; जैसे – इतनी लंबी दीवार!
६. उद्धरण या अवतरण चिह्न ( Inverted Commas ) – उद्दरण चिह्न का प्रयोग किसी कथन को मूलक के रूप में लिखने के लिए करते हैंI इसे अवतरण चिह्न भी कहा जाता हैI इसका चिह्न ( “…” ) तथा ( ‘……’ ) होता हैI
७. योजक चिह्न (Hyphen ) – योजक प्रयोग समान स्तर के दो शब्दों को जोड़ने के लिए तथा तुलना करने के लिए जाता हैI इसका चिह्न ( – ) होता हैI
८. कोष्ठक ( Bracket ) – कोष्ठक का प्रयोग अंको और अक्षरों के क्रम, शब्दों के विशेष अर्थ या भाव को प्रकट करने के लिए तथा एकांकी और नाटक में संकेत तथा भाव प्रकट करने के लिए किया जाता है; जैसे – फुलवारी गीत (कवि – अशोक लव) में बच्चों के गीत हैंI
९. लाघव या संक्षेपक चिह्न ( Sign of Abbrevation ) – शब्दों के संक्षिप्त रूप करने के लिए लाघव चिह्न का प्रयोग होता हैI इसका चिह्न ( ० ) होता है; जैसे – मास्टर ऑफ़ आर्ट्स – एम०ए०
१०. त्रुटीपूरक या हंसपद (^) – कई बार लिखते समय बिच में कोई शब्द छुट जाता है तो उस स्थान पर त्रुटीपूरक चिह्न लगाकर उस शब्द को लिख दिया जाता हैI इसका चिह्न तो कुछ कुछ लैम्डा जैसा होता है लेकिन अंग्रेजी कंप्यूटर कीपैड पर ये चिह्न उपलब्ध न होने के कारण हम इस चिह्न ( ^ ) का प्रयोग कर रहे हैंI
११. विवरण ( Sign of Following ) – व्यक्तियों, स्थानों और वस्तुओं आदि का विवरण देने के लिए विवरण चिह्न का प्रयोग किया जाता हैI इसका चिह्न :—- होता हैI
१२. उपविराम (Colon ) – उपविराम चिह्न का प्रयोग कई रूपों में किया जाता है; जैसे – निर्देश, संवाद-लेखन, शीर्षक, उदहारण आदि के लिएI इसका चिह्न ( : ) होता हैI इसे अपूर्ण विराम भी कहते हैं; जैसे – विज्ञान : वरदान या अभिशापI
१३. निर्देशक चिह्न ( Dash ) – निर्देशक चिह्न योजक से थोड़ा बड़ा होता हैI निर्देशक का प्रयोग व्याख्यान करने, निर्देश देने और संवाद लेखन के लिए किया जाता हैI इसका चिह्न ( —– ) है; जैसे – रूपा —– अध्यापिका की भूमिका माँ से बढ़कर होती हैI
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