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Home शिक्षा

अक्षर, विभाजन, बलाघात, अनुतान, संगम और वर्ण विच्छेद

by gnstaff
October 20, 2019
in शिक्षा
पद परिचय और पद परिचय में भिन्नता
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अक्षर ( Akshar : Alphabate ) : अक्षर उस छोटी से छोटी इकाई को कहते हैं, जिसका उच्चारण एक झटके में किया जाता है! पाया, नहा, चलो, आ, चढ़ आदि अक्षर हैं! ये शब्द तो हैं परंतु इनका उच्चारण एक साथ एक झटके में किया जाता है, इसलिए ये अक्षर हैं!

 

हिंदी के अक्षर (Alphabates of Hindi) :

हिंदी के प्रमुखतः निम्नलिखित अक्षर हैं –

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  1. स्वर : ओ, आ-ओ
  2. स्वर-व्यंजन : इस्
  3. व्यंजन-स्वर : प (प्+आ)
  4. व्यंजन-स्वर-वयंजन : फट्
  5. व्यंजन-व्यंजन-स्वर : क्या
  6. व्यंजन-व्यंजन-व्यंजन-स्वर : स्त्री
  7. व्यंजन-व्यंजन-स्वर-व्यंजन : प्यास्
  8. स्वर-व्यंजन-व्यंजन : अंत्
  9. स्वर-व्यंजन-व्यंजन-व्यंजन : अस्त्र्
  10. व्यंजन-स्वर-व्यंजन-व्यंजन : संत्
  11. व्यंजन-स्वर-व्यंजन-व्यंजन-व्यंजन : वस्त्र्
  12. व्यंजन-व्यंजन-स्वर-व्यंजन-व्यंजन : प्राप्त्

 

अक्षर विभाजन (Division of Alphabates) :

अक्षर कई प्रकार के होते हैं! हिंदी में एक अक्षरी और अनेक अक्षरी शब्द होते हैं!

  • एकाक्षरी : आ, जा, खा, गा, ला, या, ना, पा, छा!
  • दो अक्षरी : गाया, काया, छाया, खाया, माया!
  • तीन अक्षरी : कीजिए, दीजिए, चलिए, चढ़िए, मारना!
  • चार अक्षरी : नौकरानी, कवयित्री, अधिकारी!
  • पाँच अक्षरी : विलासिताएँ, संभावनाएँ, अध्यापकों!

हिंदी के लेखन और उच्चारण में अंतर होता है! हिंदी के अक्षरों के अंत में आने वाले ‘अ’ का उच्चारण नहीं होता है! इसका प्रयोग केवल लिखने में होता है! जैसे लेखक – लेख्+क् का उच्चारण होता है, ख्अ क्अ का उच्चारण नहीं होता है! और पढ़ें : वर्तनी व्यवस्था, वर्तनी की अशुद्धियाँ और वर्तनी का मानक रूप

 

बलाघात ( Balaghat : Accent ) :

बलाघात से तात्पर्य है किसी अक्षर या शब्द पर बल देना! किसी शब्द का उच्चारण करते समय अक्षर विशेष पर बल दिया जाता है! वाक्य का उच्चारण करते समय किसी शब्द पर बल दिया जाता है, यही बलाघात है!

  • शब्द बलाघात : इसमें किसी शब्द का उच्चारण करते समय अक्षर पर बलाघात किया जाता है! यह बलाघात भिन्न भिन्न प्रकार से होता है! एकाक्षरी शब्दों पर बलाघात, जैसे – वह, नल, आज, नर, तन आदि!
  • वाक्य बलाघात : किसी वाक्य का उच्चारण करते समय जिस शब्द पर बलाघात होता है, उस शब्द का विशेष अर्थ हो जाता है! जैसे – अध्यापिका ने महादेवी वर्मा को कविता पढाई! इसमें अलग अलग शब्दों पर बलाघात करने से वाक्य के अलग अलग मतलब निकलते हैं!

 

अनुतान ( Anutaan : Intonation ) :

किसी शब्द अथवा वाक्य का उच्चारण करते समय उसमें सुर के उतार चढ़ाव को अनुतान कहते हैं! अनुतान से तात्पर्य है शब्दों या वाक्यों को उनके भावों के अनुसार बोलना! जैसे – पंडित जसराज आ गएl, पंडित जसराज आ गए?, पंडित जसराज आ गए! तीनों वाक्यों में समान शब्द हैं परंतु तीनों भिन्न भिन्न प्रकार के वाक्य हैं! इनका उच्चारण भिन्न भिन्न रूपों में होगा! अनुतान के कारण इन वाक्यों के अर्थों में परिवर्तन आ गया! विराम चिह्नों के प्रयोग से शब्दों और वाक्यों में अनुतान होता है!

 

संगम ( Sangam : Confluence ) :

दो शब्दों के मध्य दिए जाने वाले विराम को संगम कहते हैं! इसका महत्व उच्चारण और लेखन दोनों की दृष्टियों से महत्वपूर्ण होता है! जिस प्रकार भाषा के मौलिक रूप में शब्दों के अर्थों को स्पष्ट करने के लिए यथासंभव विराम देना आवश्यक होता है! उसी प्रकार भाषा के लिखित रूप में भी शब्दों के मध्य विराम देना आवश्यक होता है! जैसे – पूजाघर में घंटियाँ बजने लगी! पूजा घर चली गई! पूजाघर – पूजा घर का भिन्न भिन्न अर्थ है!

 

वर्ण विच्छेद (Disection of Alphabate ) :

जब किसी शब्द में प्रयुक्त वर्णों को अलग अलग किया जाता है तो उसे वर्ण विच्छेद कहते हैं! जैसे कमल – क्+अ+म्+अ+ल्+अ! वर्तनी की अशुद्धियों से बचने के लिए वर्ण विन्यास का ज्ञान होना बहुत आवश्यक है!

 

‘र’ के विभिन्न रूप :

  • ‘र’ में ‘उ’ और ‘ऊ’ की मात्रा वर्ण के बिच में लगाई जाती है! – रुपया, रूप!
  • यदि ‘र’ (स्वर रहित) पहले हो और बाद में कोई अन्य स्वर सहित व्यंजन हो तो ‘र’ उस व्यंजन के ऊपर चला जाता है! इसे ‘रेफ’ कहते हैं, जैसे – कर्म!
  • यदि व्यंजन में कोई मात्रा हो तो यह रेफ मात्रा के ऊपर लगता है, जैसे – वर्मा, सर्वोदय!
  • पूरे पाई वाले (अंत और मध्य पाई वाले) सभी स्वर रहित व्यंजन जब स्वर सहित ‘र’ के साथ संयुक्त होते हैं तब ‘र’ को (,) रूप में लिखते हैं! जैसे – क्रम, सम्राट, ब्रज!
  • स्वर रहित ‘द’ और ‘ह’ जब स्वर सहित ‘र’ के साथ संयुक्त होते हैं तब ‘र’ को (,) के रूप में लिखते हैं! जैसे – ह्रास!
  • स्वर रहित ‘ट’ और ‘ड’ जब स्वर सहित ‘र’ के साथ संयुक्त होते हैं तब ‘र’ को (^) के रूप में लिखा जाता है! जैसे – ट्रक, ड्रम!
  • स्वर रहित ‘श’ जब स्वर सहित ‘र’ के साथ संयुक्त होता है तब इसे ‘श्र’ के रूप में लिखा जाता है! जैसे – श्राप!
  • इसी प्रकार ‘ऋ’ की मात्रा भी ‘श’ के साथ जुड़कर ‘शृ’ का रूप ले लेती है!

 

बिंदु ( _._ ) :

हिंदी में बिंदु (अनुस्वार) का प्रयोग बढ़ रहा है! अनुस्वार का चिह्न बिंदु होता है!

  • जिस स्वर का उच्चारण करते समय हवा केवल नाक से निकलती है और उच्चारण कुछ जोर से किया जाता है तथा लिखते समय ऊपर केवल बिंदु लगाया जाता है, उसे अनुस्वार कहते हैं! जैसे – कंठ, कंघा, बंदर!
  • यदि किसी व्यंजन पर स्वर की मात्रा शिरोरेखा के ऊपर हो तो अनुनासिका के स्थान पर बिंदु का प्रयोग होता है! जैसे – सिंचाई, कहीं, गोंद! (लेकिन ये बिंदु अनुनासिकता का सूचक है, अनुस्वार का नहीं)
  • कुछ अवर्गीय व्यंजनों के साथ अनुस्वार का ही प्रयोग होता है, जैसे – वंश, हंस, अंश!
  • स्वर रहित पंचमाक्षर (ड., ञ, ण, न, म) जब अपने वर्ग के व्यंजन के पहले आता है, तब उसे अनुस्वार के रूप में लिखा जाता है! जैसे – पंकज, चंचल, मंजन, घंटी पंत, चंपक!
  • मानक वर्तनी के नियमानुसार व्यंजनों के साथ नासिक्य वर्ण के संयुक्त होने पर अनुस्वार का ही प्रयोग करना चाहिए! यद्यपि दोनों शुद्ध है, पर एकरूपता लाने के लिए ऐसा किया गया है! जैसे, दण्ड – दंड, कम्पन – कंपन!
  • अनुस्वार जिस स्पर्श व्यंजन से पहले आता है, उसी के अंतिम नासिक्य वर्ण के रूप में उच्चरित होता है, जैसे – गंगा, पंकज, घंटा, दंत!
  • अंतस्थ (य, र, ल, व) और ऊष्म (श, ष, स, ह) व्यंजनों के पहले आने पर अनुस्वार का उच्चारण पंचम वर्ण में से किसी एक वर्ण की भांति हो सकता है, किंतु कोई निश्चित नियम लागू नहीं होता, जैसे – संशय, संरचना!
  • बिंदु और चंद्रबिंदु के अंतर को समझना आवश्यक है अन्यथा भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो जाती है, जैसे – हंस = हँस!

 

अर्धचन्द्राकार :

हिंदी में कुछ अंग्रेजी ध्वनियाँ स्थान पा चुकी है! ‘ऑ’ अंग्रेजी की स्वर ध्वनि है! इसका प्रयोग अंग्रेजी के शब्दों में होता है! यह ध्वनि आ और ओ के मध्य की ध्वनि है! जैसे – डॉक्टर, कॉटेज, ऑफिस, फुटबॉल!

 

नुक्ता ( Nukta ) :

अरबी, फारसी, उर्दू, अंग्रेजी भाषा से आए कुछ आगत शब्दों के शुद्ध उच्चारण के लिए उनमें नुक्ता लगाया जाता है!

  • अंग्रेजी में ‘ज’ और ‘फ़’ की ध्वनियाँ हिंदी के ‘ज’ और ‘फ’ से भिन्न है!
  • उर्दू की ‘क़’, ‘ख़’, ‘ग़’ ‘.ज’और ‘फ़’ ध्वनियाँ हिंदी की ध्वनियों से भिन्न है!
  • हिंदी में ‘ज’ और ‘फ़’ के दोनों रूप स्वीकृत हैं, इनके उच्चारण भी विशिष्ट हैं, अतः आगत शब्दों में यथास्थान नुक्ते का प्रयोग करना चाहिए! जैसे – राज़, जुल्फ़, रफ़ू!
  • नुक्ते के लगाने और न लगाने से शब्द में अंतर आ जाता है, जैसे – राज(shasn), राज़(रहस्य), फन(सांप का फन), फ़न(कौशल)!

 

और पढ़ें (Next Post) : हिंदी शब्दों के उच्चारण संबंधी अशुद्धियाँ और उनका निराकरण

 

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Tags: accentaksharanutaanbalaghatconfluencehindi alphabetsHindi Vyakaranintonationsangamहिंदी व्याकरण
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