मध्यप्रदेश विधानसभा चुनावों में भाजपा का खेल बिगाड़ने के पीछे नोटा को मुख्य वजह माना जा रहा है! कम से कम 14 सीटें ऐसी हैं जहां नोटा विलेन साबित हुआ! 230 सीटों में से 14 सीटों पर हार का अंतर नोटा में पड़े वोट से भी कम है! इससे पहले कर्नाटक चुनावों में भी नोटा ने 8 सीटों पर भाजपा की जीत को हार में तब्दील कर दिया था!
चुनाव आयोग के आंकड़ों के हिसाब से मध्यप्रदेश में बहुमत का समीकरण नोटा के चलते बिगड़ा गया है! मध्यप्रदेश चुनावों में डेढ़ फीसदी (4,666,26) वोटरों ने नोटा पर बटन दबाया है! अगर दोनों दलों ने मतदाताओं को विश्वास जीता होता तो, इतनी संख्या में नोटा के वोट नहीं पड़ते! जिस तरह से भाजपा और कांग्रेस बराबरी पर हैं, इससे साफ हो गया है कि इस बार का चुनाव पूरी तरह से नोटा के शिकंजे में रहा है!
अमर उजाला के रिपोर्ट के मुताबिक मध्यप्रदेश में भाजपा और कांग्रेस दोनों को 41.2 प्रतिशत वोट मिले हैं! मध्यप्रदेश की वारासिवनी सीट पर निर्दलीय प्रदीप जायसवाल को 45612 वोट मिले, भाजपा के योगेश निर्मल को 44663 वोच मिले, जबकि नोटा में 1045 वोट पड़े! वहीं टीकमगढ़ में कांग्रेस प्रत्याशी को 44384 और भाजपा को 44573 और नोटा को 986 वोट पड़े! सुवासरा विधानसभा में भाजपा को 89712 और कांग्रेस को 89364 और नोटा पर 2874 वोट पड़े! गरोथ में भाजपा को 72219 और कांग्रेस को 69953, वहीं नोटा को 2351 वोट मिले!
राजनगर विधानसभा में भाजपा के उम्मीदवार को 34807 वोट और कांग्रेस के प्रत्याशी को 34139 वोट पड़े, जबकि नोटा में 2133 वोट पड़े! नेपानगर में कांग्रेस को 85320, भाजपा को 84056 और नोटा को 2551 वोट पड़े! मान्धाता में कांग्रेस को 71228, भाजपा को 69992 और नोटा को 1575 वोट पड़े! कोलारस में भाजपा को 71173 और कांग्रेस को 70941, जबकि नोटा पर 1649 वोट पड़े! जोबाट सीट पर नोटा में 5139 वोट पड़े, जबकि दोनों दलों के प्रत्याशियों की जीत का अंतर 2500 सौ वोटों का रहा! जओरा सीट पर नोटा के पक्ष में 1500 वोट पड़े, जबकि कांग्रेस प्रत्याशी को जीत के लिए मात्र 700 वोट चाहिए थे!
गुन्नैर विधानसभा में नोटा पर 3734 वोट पड़े, जबकि कांग्रेस को 57657 और भाजपा को 55674 वोट पड़े! चंदला में नोटा के पक्ष में 2695 वोट पड़े, जबकि जीत का अंतर 1100 वोटों से भी कम रहा! वहीं बीना विधानसभा में नोटा पर 1528 वोट गिरे, जबकि जीत का अंतर 600 वोटों से कम रहा! वहीं ब्यावरा में नोटा पर 1481 वोट गिरे, जबकि कांग्रेस को 75569 और भाजपा को 74743 वोट मिले! यहाँ तक मध्य प्रदेश में तीसरी ताकत बने आम आदमी पार्टी से ज्यादा वोट पड़े नोटा में!
SC/ST एक्ट के विरोध में चुनाव से बकायदा NOTA ( none of the above ) के लिए एक अभियान चलाया गया था! हालाँकि ऐसा कहा जाता रहा की वो पूरी तरह से एक प्रायोजित अभियान था, लेकिन फिर भी नोटा कुछ न कुछ असर तो छोड़ ही गया! ऊपर से मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का “माई का लाल” वाले बयान ने आग में घी का काम किया! न चाहते हुए भी भारी मात्रा में लोगों ने नोटा में वोट गिराए! ऐसा माना जा रहा है इनमे ज्यादातर वोट परम्परागत रूप से भाजपा के थे! कुल मिलाकर जिस नोटा को नकार रहे थे, उसी नोटा ने भाजपा का काम तो खोटा कर ही दिया!