Waqf Bill पास करने के लिए तैयार मोदी सरकार, विपक्ष के रवैये से राह आसन नहीं| Waqf Bill को लेकर सिर्फ सरकार नहीं विपक्ष भी तैयार है| विपक्ष ने अपना रुख साफ़ कर दिया है| विपक्ष ने वक्फ संसोधन विधेयक का खुलकर विरोध करने का फैसला लिया है| ऐसे में संसद का बाकि बचा सत्र भी हंगामेदार रहने वाला है| सरकार के लिए आसन नहीं रहने वाला है इस बिल को पास करवाना|
वक्फ संशोधन विधेयक ईद के बाद संसद में पेश होने की संभावना है| मौजूदा बजट सत्र 4 अप्रैल तक चलना है. AIMIM नेता ओवैसी ने साफ़ कर दिया है की – वक्फ संशोधन बिल से मस्जिदों पर खतरा है, हम इसका सड़क से संसद तक विरोध करेंगे. समाजवादी पार्टी ने विरोध प्रदर्शन में शामिल होकर खुला ऐलान पहले ही कर दिया है की संसद नहीं चलने दिया जाएगा.
सबसे बड़ी विपक्षी दल कांग्रेस ने भी अपने इरादे उसी दिन स्पष्ट कर दिया था जिस दिन जेपीसी की रिपोर्ट संसद में पेश किया गया था. कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने इस रिपोर्ट का जमकर विरोध किया था, उन्होंने तो इसे फिर से जेपीसी को भेजने की मांग कर दी थी. ऐसे में संसद का सत्र बेहद ही हंगामेदार होने की संभावना है.
वक्फ संशोधन बिल के खिलाफ मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने दिल्ली के जंतर-मंतर पर प्रदर्शन किया। इसमें AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी, समाजवादी पार्टी के नेता समेत सैकड़ों लोग शामिल हुए। इस दौरान ओवैसी ने कहा- हम इस बिल का विरोध करते हैं। बिल में प्रावधान है कि कल कोई यह कहता है कि यह मस्जिद नहीं है और कलेक्टर जांच बैठा देते हैं तो जांच पूरी होने तक मस्जिद हमारी संपत्ति नहीं होगी।
विरोध प्रदर्शन पर जेपीसी के चेयरमैन रहे जगदंबिका पाल ने कहा – अगर वे वक्फ संशोधन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने जा रहे हैं, तो कहीं न कहीं वे देश के लोगों में नफरत पैदा करने और संसद के कानून बनाने के अधिकार को चुनौती देने की कोशिश कर रहे हैं। वे लोगों को भ्रमित करने और मतभेद पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं। उनके द्वारा उठाया गया यह कदम लोकतांत्रिक नहीं है।
WAQF Amendment Bill का क्या उद्देश्य है?
वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 का मकसद डिजिटलीकरण, बेहतर ऑडिट, बेहतर पारदर्शिता और अवैध रूप से कब्जे वाली संपत्तियों को वापस लेने के लिए कानूनी सिस्टम में सुधारों को लाकर इन चुनौतियों को हल करना है।
1947 में देश का बंटवारा हुआ तो काफी संख्या में मुस्लिम देश छोड़कर पाकिस्तान गए थे। संसद ने 1954 में बनाया था वक्फ एक्ट वक्फ में मिलने वाली जमीन या संपत्ति की देखरेख के लिए कानूनी तौर पर एक संस्था बनी, जिसे वक्फ बोर्ड कहते हैं। इस तरह पाकिस्तान जाने वाले लोगों की जमीनों और संपत्तियों का मालिकाना हक इस कानून के जरिए वक्फ बोर्ड को दे दिया गया। 1955 में यानी कानून लागू होने के एक साल बाद, इस कानून में बदलाव कर हर राज्यों में वक्फ बोर्ड बनाए जाने की बात कही गई। इस वक्त देश में अलग-अलग प्रदेशों के करीब 32 वक्फ बोर्ड हैं, जो वक्फ की संपत्तियों का रजिस्ट्रेशन, देखरेख और मैनेजमेंट करते हैं। बिहार समेत कई प्रदेशों में शिया और सुन्नी मुस्लिमों के लिए अलग-अलग वक्फ बोर्ड हैं। और अधिक पढ़ें : वक्फ बिल पर बनी जेपीसी की बैठक में प्रस्तावित 14 संशोधनों को स्वीकार किया गया