बॉलीवुड एक्ट्रेस ममता कुलकर्णी महाकुंभ में अपनी आध्यात्मिक यात्रा शुरू करने के बाद से मीडिया की सुर्खियों में छाई हुई हैं. करण अर्जुन’ फेम अभिनेत्री Mamta Kulkarni ने महाकुंभ के दौरान किन्नर अखाड़े में पहुंचने के बाद आधिकारिक रूप से संन्यास ले लिया। अभिनेत्री ममता कुलकर्णी ने कुम्भ में अपने हाथों से अपना पिंडदान करके भगवा वस्त्र धारण कर संन्यास की दीक्षा ले ली है। जिसके बाद उन्हें किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर घोषित किया गया और इसके साथ ही उन्हें मिला नया नाम, यमाई ममता नंद गिरि. मतलब अब ममता कुलकर्णी को अब यमाई ममता नंद गिरि के नाम से जाना जाएगा।
उनका पट्टाभिषेक होने के बाद किन्नर अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी डॉ. लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने इसकी घोषणा की. उन्होंने कहा कि ममता किन्नर अखाड़े से जुड़ गईं. उनका नाम महामंडलेश्वर श्री यामाई ममता नंद गिरी रखा गया. पिछले दो ढाई साल से ये हमारे साथ रही हैं. हमारा पूरा अखाड़ा इन्हें जोड़ने के फैसले में साथ था.
लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने आगे कहा की बॉलीवुड में अगर कोई भी काम धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए इनको ऑफर होता है, जैसे हेमा मालिनी, अरुण गोविल हैं. अलग-अलग रूपों में धर्म का प्रचार हो सकता है तो ऐसे काम ये कर सकती हैं. पूरे किन्नर अखाड़े से इनको ये आजादी है. महामंडलेश्वर लक्ष्मी त्रिपाठी ने आगे कहा कि बहुत लोग जुड़ते हैं। बहुत लोग सनातन में रुचि रखते हैं। 2015 से नर नारी किन्नर हैं इसमें, सब महामंडलेश्वर भी हैं। हम सबका सम्मान करते हैं लेकिन अगर जो पद का निर्वहन नहीं कर पाएगा उसे हम महामंडलेश्वर बनाने के बाद खारिज भी कर सकते हैं।
ममता कुलकर्णी ने दीक्षा के बाद सोशल मीडिया पर महाकुंभ से कई तस्वीरों और वीडियो को साझा किया, जिसमें वह भगवा वस्त्र पहने साध्वियों के साथ खड़ी नजर आ रही हैं. एक्ट्रेस से सन्यासी बनीं ममता कुलकर्णी का वीडियो भी सामने आया है। जिसमें संन्यास अनुष्ठान के दौरान उन्हें रोते हुए देखा जा सकता है। जिसपर लोगों का ये कहना है की संन्यास लेते समय ममता कुलकर्णी का भावुक होना यह दर्शाता है कि उनके लिए यह निर्णय आसान नहीं था। फिल्म इंडस्ट्री में अपना एक खास मुकाम बनाने के बाद, उस जीवन को छोड़कर अध्यात्म की ओर जाना उनके लिए एक बड़ा बदलाव था। उनकी आंखों से आंसू इस बात का प्रतीक हो सकते हैं कि वे अपने अतीत को अलविदा कहने के दर्द और भविष्य की एक नई शुरुआत की भावनाओं से घिरी हुई थीं।
सन्यास के बाद ममता कुलकर्णी ने बताया की कि क्यों, कैसे और कब वो आध्यात्म से जुड़ीं और आगे अब उन्हें क्या करना है.
ममता ने कहा, ये सृष्टि शिवशक्ति से उत्पन्न हुई है. मैंने कई साल तप किया है. मेरे गुरु चैतन्य गगन गिरी जूना अखाड़े से हैं. मैं दो साल से किन्नर अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी डा लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी के संपर्क में थी. जगतगुरु महेंद्र गिरि जी ने मेरी परीक्षा ली कि मुझे ज्ञान, ध्यान, तप और ब्रह्म विद्या के बारे में कितनी जानकारी है. ये मुझे नहीं मालूम था कि मेरी जो इतने सालों की तपस्या है, इसका तीन दिनों से इम्तिहान चल रहा है. मैं इसमें पूरी तरह उत्तीर्ण हो गई और मुझे महामंडलेश्वर बनने का न्योता मिला.
ममता ने आगे कहा कि संन्यासी बनने के लिए तीन रास्ते होते हैं – एक वामपंथ, दूसरा दक्षिण पंथ और तीसरा मध्यम पंथ. लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी इसी मध्यम पंथ की महामंडलेश्वर हैं. मैंने जो 23 साल से ध्यान और तप किया. इन सब को आध्यात्म जीवन द्वारा स्वातंत्र्य करने आई हूं और मुझे लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी से बेहतर कोई और संस्था मिली ही नहीं. मैं सांसारिक जीवन में रहते हुए भी आध्यात्म जीवन में आना चाहती थी. मुझे बॉलीवुड में वापस नहीं आना है. इसलिए मैंने 23 साल पहले बॉलीवुड को छोड़ दिया था. वहां वापस जाने का सवाल ही नहीं उठता है. ममता ने कहा की जो दिव्य है, जो दैव था और रहेगा. उसका प्रचार मैं स्वतंत्र रूप से मध्यम मार्ग में रहते हुए करूंगी. ये कुंभ मेला 144 साल बाद लगा है. मैं यहां 12 साल पहले भी आई थी. वो भी पूर्ण कुंभ था.
महामंडलेश्वर बनने के लिए आखिर किन्नर अखाड़े को क्यों चुना?, इस पर ममता ने कहा – कहीं से भी मुझे बंदी नहीं बनना पड़ेगा. क्योंकि ये मध्यम मार्ग का जो किन्नर अखाड़ा है, बिलकुल स्वतंत्र है, तो इससे अच्छा और क्या हो सकता है. इस संस्था और सनातन के लिए जो भी हो सकेगा इसके लिए मैं समर्पित हूं. वैसे तो काफी सालों से सनातन के लिए समर्पित हूं. मेरी जहां से जो भी कमाई होगी, यहां मैं इनके चरणों में समर्पित करूंगी.
दरअसल किन्नर अखाड़ा सनातन धर्म के 13 प्रमुख अखाड़ों से अलग है. ये वो अखाड़ा है, जिसमें संन्यासी बनने के बाद भी भौतिक जीवन जिया जा सकता है और इसमें महामंडलेश्वर बनने के लिए संसारिक और पारिवारिक रिश्तों को खत्म करना जरूरी नहीं होता और यही कारण है कि ममता कुलकर्णी ने इस अखाड़े को चुना और अब वो भौतिक जीवन जीते हुए भी संन्यासी बनकर रह सकेंगी. इसमें उन्हें वैराग्य वाला जीवन नहीं बिताना होगा.
बांग्लादेश में हिंदुओं के साथ अत्याचार पर ममता कुलकर्णी ने कहा – जो बांग्लादेश में हिंदुओं के साथ हो रहा है वो नहीं होना चाहिए. ये क्यों हो रहा हैं. इतनी नफरत वहां क्यों है. मैंने 23 साल तप के दौरान अन्न त्याग दिया. 50-60 दिन सिर्फ जल पर रही. मैंने इस दौरान प्रलय को भी देखा. उस दौरान कुछ नहीं रहेगा. पाकिस्तान, नेपाल, भारत, बांग्लादेश कुछ नहीं रहेगा. यहां अगर आपने किसी को कष्ट दिया है तो ऊपर जाकर भी आपको वहीं कष्ट मिलने वाला है. वहां कोई हूर नहीं मिलने वाली है.
ममता ने आगे कहा की एक समय उन्हें भगवान पर भी गुस्सा आया था, मैं सुपरस्टार थी. मेरे तीन-तीन बैग में डिजाइनर कपड़े से भरे पड़े थे. वो लॉक हो गया. मेरे पास एक गाड़ी और ड्राइवर थी. मैं सबकुछ छोड़कर मेट्रो से मंदिर गई. मैंने सबकुछ छोड़कर कई साल तपस्या की. मुझे भगवान पर गुस्सा भी आया, जब मेरे ऊपर केस चला. मैं रोई और मैंने भगवान से कहा कि मेरी तपस्या का मुझे क्या फल मिला. लेकिन जब मुझे महामंडलेश्वर बनने का न्योता मिला तो ये सब मेरे सामने आ गया और मुझे अनुभव हुआ कि मेरे लिए क्या लिखा था.
कुम्भ एक ऐसा अवसर है जिसके मौके पर कई लोग सन्यास लेते हैं, लेकिन आखिर ममता कुलकर्णी का सन्यास लेना इतनी चर्चा में क्यों है?
लोग यह भी कह रहे हैं कि महामंडलेश्वर बनने के लिए संसारिक मोह-माया के लिए त्याग की भावना होनी चाहिए. पारिवारिक संबंधों से दूर होना चाहिए और वेद-पुराणों का ज्ञान होना चाहिए. अगर आप ममता कुलकर्णी के जीवन को देखेंगे तो आपको ये पता चलेगा कि कुछ समय पहले तक उनका जीवन विवादों से भरा हुआ था.
दरअसल 90 के दशक में ममता कुलकर्णी सबसे ज्यादा डिमांडिंग एक्ट्रेसेस में से एक थीं. करण अर्जुन, चाइना गेट, तिरंगा, आशिक आवारा, क्रांतिवीर, बाजी, सबसे बड़ा खिलाड़ी, पुलिसवाला गुंडा और कई अन्य फिल्मों से ममता ने लाखों दिलों पर राज किया. फिर ममता कुलकर्णी अपने करियर के शिखर पर रहते हुए अचानक ग्लैमर इंडस्ट्री से दूर हो गई थीं। जिसके बाद ड्रग माफिया विक्की गोस्वामी के साथ उनका नाम जुड़ गया. आरोप लगता है कि वर्ष 2013 में ममता कुलकर्णी ने हिंदी फिल्म इंडस्ट्री को छोड़ कर ड्रग माफिया विक्की गोस्वामी से दुबई में शादी कर ली थी. हालांकि ममता कुलकर्णी इन आरोपों को गलत बताती हैं, लेकिन सच्चाई ये है कि वर्ष 2016 में मुंबई पुलिस ने ड्रग्स तस्करी के एक मामले में उनके खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी किया था.
जब ममता कुलकर्णी ने फिल्म इंडस्ट्री को छोड़ा नहीं था, तब भी उन पर अंडरवर्ल्ड से कनेक्शन होने के आरोप लगे थे. वर्ष 1993 में ममता कुलकर्णी ने एक मैग्जीन के लिए टॉपलेस फोटोशूट कराया था, जिस पर देशभर में काफी हंगामा भी हुआ था. हाल ही में एक साक्षात्कार में, ममता ने भारत और बॉलीवुड से अपनी दुरी के कारणों को साझा किया। उन्होंने बताया, “मेरे भारत छोड़ने का कारण आध्यात्म था। 1996 में, मेरा झुकाव आध्यात्म की ओर हुआ और उसी दौरान मेरी मुलाकात गुरु गगन गिरि महाराज से हुई। उनके आने के बाद, मेरी अध्यात्म में रुचि बढ़ी और मेरी तपस्या शुरू हुई। उसके बाद, मैंने बॉलीवुड छोड़ दिया। 2000 से 2012 तक, मैंने अपनी तपस्या जारी रखी। मैंने कई साल दुबई में बिताए, जहाँ मैं दो बेडरूम वाले फ्लैट में रहती थी और 12 साल तक अविवाहित रही।
ममता अपने ग्लैमरस और बोल्ड अंदाज के लिए जानी जाती थीं, लेकिन अचानक उन्होंने शोहरत, चकाचौंध और विवादित अतीत से निकल कर आध्यात्मिक जीवन अपना लिया है. शायद यही कारण है कि आज ममता कुलकर्णी के महामंडलेश्वर बनने पर इतनी चर्चा भी हो रही है और लोग हैरान भी हैं.