यदि आप प्राकृतिक सौंदर्य देखने के शौकीन है और इसे देखने के लिए दूर दूर तक जाते है। तो अब आपको इसकी जरूरत नहीं पड़ेगी। दरअसल दोस्तों मध्यप्रदेश एक ऐसा राज्य है जो अपने अंदर प्राकृतिक सौंदर्य को समेटे हुए है। यहां पर आपको ऐसी कई जगहे मिल जाएगी जो प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर है। जी हाँ… आज हम बात करेंगे मध्य प्रदेश में स्थित एक ऐसी जगह के बारे में जो अपनी प्राकृतिक सौंदर्यता के लिए बहुत मशहूर है और यहां की सुंदरता निहाने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। इतना ही नहीं बल्कि यह स्थान इतिहास को भी दर्शाता है जिसे देखना काफी रोमांचक महसूस हो सकता है। ये एक ऐसी जगह हैं जहां आप फेमली ट्रिप पर भी आ सकते हैं, इसके अलावा यहां पर अकेले घूमना भी काफी रोमाँचक है। तो चलिए जानते हैं इस खूबसूरत जगह के बारे में…
हम आपसे बात कर रहे हैं और ओरछा में बेतवा नदी के तट पर बसा कंचना घाट के बारे में। कहा जाता है कि कंचना घाट का निर्माण राजा वीर सिंह जूदेव ने करवाया था। कंचना घाट की खूबसूरती देखकर आप मंत्र मुग्ध हो जाए हो जाओगे। यहां पर प्राकृतिक सौंदर्यता के साथ-साथ इतिहास को समझने का मौका भी मिलने वाला है। ऐसा कहा जाता है दोस्तों कंचना घाट ओरछा के सबसे प्रसिद्ध घाटों में से एक है और यहां पर कई ऐसे परिसर मौजूद है जो अपने आप काफी भव्य है। इतना ही नहीं बल्कि कंचना घाट को लेकर यह भी कहा जाता है कि, ओरछा राज्य की रानियां एवं पटरानियां स्नान करने इसी घाट पर आती थी और यह नजारा बहुत खूबसूरत हुआ करता था।
यानी कि कम शब्दों में कहा जाए तो कंचना घाट प्राकृतिक सुंदरता के साथ-साथ इतिहास और आध्यात्मिक शांति भी दर्शाता है और यही वजह है कि हजारों पर्यटक यहां पर पहुंचते हैं। यहां का माहौल काफी शांत है, ऐसे में आपको यहां पर एक अलग ही अनुभव महसूस होने वाला है। नदी की प्राचीन सुंदरता और शांत वातावरण विश्राम आत्मनिरीक्षण और प्रकृति की गोद में जाने के लिए एक बेहतर स्थान है। इतना ही नहीं बल्कि साल 1592 में महाराज मधुकर शाह के दिवंगत होने पर कंचन घाट पर ही उनकी समाधि बनाई गई। इसके अलावा इसी घाट पर जुझार सिंह की रानी की मडिया भी है जो भाभी जी की मडिया के नाम से प्रसिद्ध है।
कंचना घाट का एक ऐतिहासिक महत्व रहा है क्योंकि यहां भव्य किला परिसर के बहुत ही नजदीक है। जब आप यहां पर जाएंगे तो आपको घुमावदार रास्ता, हरी भारी हरियाली, पहाड़ से घिरा हुआ मनमोहक दृश्य देखने को मिलता है जो आपको मोहित कर लेता है। यहां पर पानी की मधुर ध्वनि, ठंडी हवा, शांति, साथ ही पक्षियों के गीत सुनने को मिलेंगे जो आपके इस यात्रा को बहुत सुखद महसूस करवाने वाले हैं।
ओरछा झांसी से 16 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। ओरछा का पुराना नाम तुंगारण्य बताया जाता है। इसे महर्शि तुंग की तपोभूमि भी कहा जाता है। ऐसा भी कहा जाता है कि यहां पर सारस्वत ऋषि ने अन्य ऋषियों को वेद अध्ययन करवाया था इतना ही नहीं बल्कि बुंदेली से पहले परिहारो ने इस स्थान को अपनी राजधानी बनाया हालांकि बाद में चंदेलों ने उसे ढहा दिया। इसका प्राचीन नाम ऊॅंदछा, ओंदछा तथा ओड़छा है। जिससे परिवर्तित हो कर कालान्तर में इसका नाम ओरछा हो गया।
कंचना घाट स्थानीय लोगों के लिए बहुत महत्वपूर्ण बताया जाता है। कहते हैं यहां पर हर दिन पूजा अर्चना विशेष रूप से होती है। इसके अलावा यहां पर अक्सर धार्मिक अनुष्ठान होते रहते हैं। इतना ही नहीं बल्कि रामनवमी जैसे बड़े त्यौहार के दौरान यहां पर राम कथा के विविध प्रसंगों की प्रस्तुति होती है और हजारों लोगों की भीड़ लगी रहती है।
जब आप यहां पर पहुंचेंगे तो आपको कंचना घाट के पास ओरछा के शासको के लिए करीब 15 छतरियां स्मारक देखने को मिलेंगे जो बहुत ही खूबसूरत तरीके से बनाए गए हैं। यह छतरियां और स्मारक इस बात का प्रमाण है कि इतिहास काफी भव्य रहा होगा जो आज भी उनके द्वारा बनाई गई छतरियां वैसी की वैसी ही खड़ी है। यहां के अधिकांश छतरी आपको तीन मंजिला देखने को मिलेगी।
सूचना फलक पर मधुकर शाह, वीर सिंह देव, जसवंत सिंह, उद्वित सिंह, पहाड़ सिंह आदि नाम का अंकित है। यह छतरियां पंचायतन शैली के मंदिरों जैसी बनी हुई है। कहा जाता है दोस्तों ओरछा की स्थापना बुंदेला राजपूत सरदार रुद्र प्रताप सिंह के द्वारा हुई थी। जब आप कंचना घाट देखने पहुंचे तो यहां के नजदीक श्री राम राजा मंदिर, सावन भादो स्तंभ, हरदौल की बैठक और लक्ष्मी मंदिर भी जा सकते हैं। ये जगह भी काफी खूबसूरत है। यहां जाकर आप इतिहास जुडी कई चीजें समझने को मिलेगी।
ओरछा जाने के लिए सबसे पहले आपको ग्वालियर जाना पड़ेगा। ग्वालियर यहां का सबसे नजदीकी एयरपोर्ट है। एयरपोर्ट से बस या टैक्सी से ओरछा जा सकते हैं। वही झांसी मानिकपुर रेलवे लाइन पर स्थित ओरछा रोड स्टेशन से 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। आप चाहे तो रेल के माध्यम से भी जा सकते हैं। इसके अलावा ग्वालियर से ओरछा के लिए बस मिलती है। आप चाहे तो अपने निजी वाहन से भी ओरछा जा सकते हैं और सुखद यात्रा कर सकते हैं।