Narwar Fort | जब भी खूबसूरत वादियों और संस्कृति की बात हो और उसमें मध्य प्रदेश का नाम ना हो? ऐसे कैसे हो सकता है, दोस्तों मध्य प्रदेश में ऐसे कई स्मारक, महल बने हुए हैं जो बरसों पुराने इतिहास को समेटे हुए हैं। अब तक हमने आपको मध्य प्रदेश से जुड़े ऐसे कई महल और स्मारक के बारे में बताया जिनका बहुत महत्व है और यह मध्य प्रदेश की शान बढ़ाते हैं। इसी बीच हम लेकर आए हैं मध्य प्रदेश के एक और किले की जानकारी जो बहुत खास है और यह काफी प्रचलित भी है। इसका इतिहास अपने आप में काफी भव्य रहा है और यह किला भी काफी सुर्खियों में रहा है। तो चलिए जानते हैं इस किले के बारे में…
दरअसल, हम जिस किले के बारे में बात कर रहे हैं वो मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले से 302 किलोमीटर दूर और ग्वालियर से तकरीबन 82 किलोमीटर दूर कालीसिंध नदी के पूर्व में 50 फीट की ऊंचाई पहाड़ी पर बसा हुआ है। यह किला अपने आप में काफी भव्य है जो करीब 7 किलोमीटर के दायरे में फैला हुआ है।
इस किले का नाम नरवर किला (Narwar Fort) है और इसकी बहुत दिलचस्प कहानी है। दरअसल महाभारत में किले की चर्चा राजा नल की राजधानी के रूप में की गई है। नरवर को पहले नलपूल नाम से जाना जाता था। इतिहास की माने तो 12वीं शताब्दी में इस पर परिहार, तोमर कछवाहा जैसे शासको का अधिकार रहा। कहते हैं काफी समय तक इस पर मुगलों ने भी राज किया फिर 18वीं और 19वीं शताब्दी में मराठा सिंधियों के अधिनियम ये किला आ गया।
इस किले का पूरा डिजाइन राजपूताना है जो बहुत ही खूबसूरत तरीके से बनाया गया है। किले की एक-एक दीवार में काफी बारीकी देखने को मिलती है। दोस्तों इस किले को देखने के लिए आपको कई सीढ़ियां भी चढ़नी पड़ती है तब कहीं जाकर इस किले की सुंदरता को आप निहार पाते हैं। चारों तरफ हरियाली से घिरा यह किला काफी चर्चा में रहता है और अक्सर इसे देखने वालों की भीड़ लगी रहती है।
इस किले की एक ऐतिहासिक प्रेम कहानी भी बताई जाती है। कहा जाता है कि नरवर किला को नल और दमयंती की प्रेम कहानी की वजह से बनाया गया था। दरअसल दमयंती विदर्भ देश के राजा भीम की पुत्री थी जबकि नल निषाद के राजा वीर सिंह के पुत्र थे। कहा जाता है कि दोनों ही बहुत गुणी और रूपवान हुआ करते थे और उनकी सुंदरता की चर्चा दूर-दूर तक हुआ करती थी। लेकिन इन दोनों ने कभी भी एक दूसरे को नहीं देखा था। यह दोनों केवल एक दूसरे की सुंदरता और गुण के बारे में सुनकर ही एक दूजे से प्रेम करने लगे थे।
इसी बीच जब दमयंती के स्वयंवर का समय आया तो इसमें वरुण, अग्नि, इंद्र, नल और यम भी आए। ऐसा कहा जाता है कि चारों स्वयंवर में नल का चेहरा धारण करके आए थे। नल की तरह दिखने वाले पांच पुरुषों को देखकर दमयंती खुद भी दंग रह गई थी। किंतु उनके प्रेम को कोई हारा नहीं सका। कहा जाता है कि दमयंती के प्यार में इतनी ताकत थी कि उन्होंने देवताओं से शक्ति मांग कर अपने असली प्रेम की पहचान की और उससे शादी कर ली, लेकिन कुछ समय साथ रहने के बाद यह दोनों एक दूसरे से अलग हो गए।
इतिहास में ऐसा कहा गया है कि नल अपने भाई पुष्कर से जुए में सब कुछ हार जाता है जिसके बाद दमयंती अपने परिवार के साथ रहने लगती है। वहीं सब कुछ हार जाने के बाद नल गायब हो जाते हैं। इसी बीच दमयंती के पिता दोबारा उसके स्वयंवर की घोषणा कर देते हैं। उधर दमयंती से अलग होने के बाद नल को कर्कोटक नाम के सांप ने काट लिया होता है जिसकी वजह से उसका पूरा रंग काला पड़ जाता है। यहां तक के उसे कोई पहचान भी नहीं पा रहा था।
इसी बीच नल बावुक नाम से सारथी बनकर विदर्भ पहुंचे। नल का चेहरा कुछ ऐसा हो गया था कि, दमयंती के लिए भी पहचानना थोड़ा मुश्किल था हालांकि उसने अपने प्रेम को पहचान लिया। इसके बाद नल ने अपने भाई पुष्कर के साथ एक बार फिर से जुआ खेला और हारी हुई सारी चीज अपने नाम कर ली। इसके बाद ही इस किले का निर्माण किया गया।
जब आप इस किले में प्रवेश करेंगे तो आपको चार द्वार पार करने पड़ते हैं। पहले द्वारा पिसनारी दरवाजा कहलाता है जो हिंदू शैली में निर्मित है। इसके अलावा दूसरा द्वारा किरणपुर तथा तीसरा गणेशपुर और चौथा द्वारा हवापुर के नाम से मशहूर है। इस किले के अंदर आपको एक साथ 8 कुँए और 16 बावड़िया देखने को मिलेगी। कहा जाता है कि यहां से 1600 पणिहारान पानी भरने एक साथ आई थी और यह नजारा बहुत खूबसूरत हुआ करता था। इतना ही नहीं बल्कि किले के अंदर एक पूरा नगर बसा हुआ करता था जिसमें मीना बाजार सबसे मुख्य था जहां से लोग अपनी जरूरत की चीज ख़रीदा करते थे।
यदि आप नरवर किला देखना चाहते हैं तो यह किला ज्यादा दूर नहीं है। आप यहां पहुंचने के लिए ट्रेन, बस और हवाई जहाज का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। दरअसल, आपको हवाई जहाज से ग्वालियर एयरपोर्ट पर आना पड़ेगा। इसके बाद आप नरवर किला तक पहुंच सकते हैं। इसके अलावा ट्रेन से आपको शिवपुरी स्टेशन आना पड़ेगा। यहां से भी नरवर किला करीब पड़ता है। यहां से आप टैक्सी या बस से जा सकते हैं। इसके अलावा आप किसी भी राज्य से शिवपुरी बस स्टॉप आ सकते हैं और यहां से नरवर किले के लिए निकल सकते हैं। Narwar Fort | Madhya Pradesh Tourism | Nal Damyanti Love Story