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Home शिक्षा

सौरमंडल, परम्परागत ग्रह, बौने ग्रह, धूमकेतु, उपग्रह एवं अन्य छोटे खगोलीय पिंड

by Ganga Info Desk
2 June 2020
in शिक्षा
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सूर्य के चरों ओर चक्कर लगाने वाले विभिन्न ग्रहों, क्षुद्रग्रहों, धूमकेतुओं, उल्काओं तथा अन्य कोशकीय पिंडों के समूह को सौरमंडल (Solar System) कहते हैं! सौरमंडल में सूर्य का प्रभुत्व है, क्योंकि सौरमंडल निकाय के द्रव्य का लगभग 99.999 द्रव्य सूर्य में निहित है! सौरमंडल के समस्त उर्जा का स्रोत भी सूर्य ही है!

 

सूर्य (Sun) : सूर्य सौरमंडल का प्रधान है! यह हमारी मंदाकिनी दुग्धमेखला के केन्द्र से लगभग 30,000 प्रकाशवर्ष की दूरी पर एक कोने में स्थित है! यह दुग्धमेखला मंदाकिनी के केंद्र के चारों ओर 250 किमी/से की गति से परिक्रमा कर रहा है! इसका परिक्रमा काल 25 करोड़ वर्ष है, जिसे ब्रह्मांड काल कहते हैं! सूर्य अपने अक्ष पर पूर्व से पश्चिम की ओर घूमता है! इसका मध्य भाग 25 दिनों में व ध्रुवीय भाग 35 दिनों में एक घूर्णन करता है! और पढ़ें : विभिन्न यंत्रों और उपकरणों के अविष्कार और उनके देश

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सूर्य एक गैसीय गोला है, जिसमे हाइड्रोजन 71%, हीलियम 26.5% एवं अन्य तत्व 2.5% होता है! सूर्य का केन्द्रीय भाग कोर (Core) कहलाता है, जिसका ताप 1.5 x 10000000 डिग्री C होता है तथा सूर्य के बाहरी सतह का तापमान 6000 डिग्री C है! सूर्य के केंद्र पर चार हाइड्रोजन नाभिक मिलकर एक हीलियम नाभिक का निर्माण करता है! अर्थात् सूर्य के केंद्र पर नाभकीय संलयन होता है जो सूर्य की उर्जा का स्रोत है! सूर्य की दीप्तिमान सतह को प्रकाशमंडल (Photo sphere) कहते हैं! प्रकाशमंडल के किनारे प्रकाशमान नहीं होते, क्योंकि सूर्य का वायुमंडल प्रकाश का अवशोषण कर लेता है! इसे वर्णमंडल (Chromosphere) कहते हैं! यह लाल रंग का होता है! सूर्य ग्रहण के समय सूर्य के दिखाई देनेवाले भाग को सूर्य किरीट (Corona) कहते हैं! सूर्य किरीट X-Ray उत्सर्जित करता है! इसे सूर्य का मुकुट कहा जाता है! पूर्ण सूर्यग्रहण के समय सूर्य किरीट से प्रकाश की प्राप्ति होती है!

 

सूर्य की उम्र 5 बिलियन वर्ष है! भविष्य में सूर्य द्वारा उर्जा देते रहने का समय 100000000000 वर्ष है! सूर्य के प्रकाश को पृथ्वी तक पहुँचने में 8 मिनट 16.6 सेकण्ड का समय लगता है! सौर ज्वाला को उतरी ध्रुव पर औरोरा बोरिलियालिस और दक्षिणी ध्रुव पर औरोरा औस्ट्रेलिस कहते हैं! सूर्य के धब्बे का तापमान आसपास से 1500 डिग्री C कम होता है! सूर्य के धब्बों का एक पूरा चक्र 22 वर्षों का होता है, पहले 11 वर्षों तक यह धब्बा बढ़ता है और बाद के 11 वर्षों तक यह धब्बा घटता है! जब सूर्य की सतह पर धब्बा दिखलाई पड़ता है, उस समय पृथ्वी पर चुम्बकीय झंझावत उत्पन्न होते हैं! इससे चुम्बकीय सुई की दिशा बदल जाती है एवं रेडियो, टेलीविज़न, बिजली चालित मशीन आदि में गड़बड़ी उत्पन्न हो जाती है! सूर्य का व्यास 13 लाख 92 हजार किमी है, जो पृथ्वी के व्यास का लगभग 110 गुना है! सूर्य हमारी पृथ्वी से 13 लाख गुना बड़ा है, और पृथ्वी को सूर्यताप का 2 अरबवां भाग मिलता है!

 

सौरमंडल के पिंड – सौरमंडल के मौजूद पिंडों को तीन श्रेणियों में बाँटा गया है!

परम्परागत ग्रह : बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल, बृहस्पति, शनि, अरुण, वरुण

बौने ग्रह : प्लूटो, चेरॉन, सेरस, 2003  यूबी 313

लघु सौरमंडलीय पिंड : धूमकेतु, उपग्रह एवं अन्य छोटे खगोलीय पिंड

 

ग्रह : ग्रह वे खगोलीय पिंड है जो निम्न शर्तों को पूरा करता है – (i) जो सूर्य के चारों ओर परिक्रमा करता हो  (ii) उसमें पर्याप्त ग्रुत्वकर्षण बल हो जिससे वह गोल स्वरुप ग्रहण कर सके  (iii) उसके आस पास का क्षेत्र साफ हो यानी उसके आस पास अन्य खगोलीय पिंडों की भीड़ भाड़ न हो! ग्रह की इस परिभाषा के आधार पर यम (Pluto) को ग्रह की श्रेणी से निकाल दिया गया फलस्वरूप परम्परागत ग्रहों की संख्या 9 से घटकर 8 रह गयी! यम को बौने ग्रह की श्रेणी में रखा गया है! ग्रहों को दो भागों में विभाजित किया गया है  –

(i) पार्थिव या आन्तरिक ग्रह (Terrestrial or Inner Planet) – बुध, शुक्र, पृथ्वी एवं मंगल को पार्थिव ग्रह कहा जाता है, क्योंकि ये पृथ्वी के सदृश होते हैं!

(ii) वृहस्पतीय या बाह्य ग्रह (Jovean or Outer Planet) – वृहस्पति, शनि, अरुण एवं वरुण को वृहस्पतिय ग्रह कहा जाता है!

कुल आठ ग्रहों में से केवल पाँच को ही नंगी आँखों से देखा जा सकता है जो है – बुध, शुक्र, शनि, वृहस्पति एवं मंगल!

आकार के अनुसार ग्रहों का क्रम (घटते क्रम में) – वृहस्पति, शनि, अरुण, वरुण, पृथ्वी, शुक्र, मंगल एवं बुध अर्थात् सबसे बड़ा ग्रह वृहस्पति और सबसे छोटा ग्रह बुध है!

घनत्व के अनुसार ग्रहों का क्रम (बढ़ते क्रम में) – शनि, युरेनस, वृहस्पति, नेपच्यून, मंगल एवं शुक्र!

शुक्र एवं अरुण (युरेनस) को छोड़कर अन्य सभी ग्रहों का घूर्णन एवं परिक्रमण की दिशा एक ही है!

 

बुध (Mercury) : यह सूर्य का सबसे नजदीकी ग्रह है, जो सूर्य निकलने के दो घंटा पहले दिखाई पड़ता है! यह सबसे छोटा ग्रह है, जिसके पास कोई उपग्रह नहीं है! इसका सबसे विशिष्ट गुण है, इसमें चुम्बकीय क्षेत्र का होना! यह सूर्य क परिक्रमा सबसे कम समय में पूरी करता है अर्थात् सौरमंडल का सर्वाधिक कक्षीय गति वाला ग्रह है! इसका तापमान लगभग -180 डिग्री C है! इसका घनत्व सभी ग्रहों एवं जल से भी कम है, यानि इसे जल में रखने पर तैरने लगेगा! यहाँ दिन अति गर्म व रातें बर्फीली होती है! इसका तापान्तर सभी ग्रहों में सबसे अधिक (560 डिग्री C) है!

 

शुक्र (Venus) : यह पृथ्वी का निकटम ग्रह है! यह सबसे चमकीला एवं सबसे गर्म ग्रह है! इसे साँझ का तारा या भोर का तारा कहा जाता है क्योंकि यह शाम में पश्चिम दिशा में तथा सुबह में पूरब दिशा में आकाश में दिखाई देता है! यह अन्य ग्रहों के विपरीत दक्षिणावर्त (Clockwise) चक्रण करता है! इसे पृथ्वी का भगिनी ग्रह कहते हैं! यह घनत्व, आकार एवं व्यास में पृथ्वी के समान है! इसके पास कोई उपग्रह नहीं है! और पढ़ें : विश्व के प्रमुख खनिज, उत्पादक देश एवं उनके स्थान

 

वृहस्पति (Jupiter) : यह सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह है! इसे अपनी धुरी पर चक्कर लगाने में 10 घंटा (सबसे कम) और सूर्य की परिक्रमा करने में 12 वर्ष लगते हैं! इसका उपग्रह ग्यानीमीड सभी उपग्रहों में सबसे बड़ा है!

 

मंगल (Mars) : इसे लाल ग्रह (red planet) कहा जाता है, इसका रंग लाल, आयरन ऑक्साइड के कारण है! यहाँ पृथ्वी के समान दो ध्रुव हैं तथा इसका कक्षातली 25 डिग्री के कोण पर झुका हुआ है, जिसके कारण यहाँ पृथ्वी के समान ऋतु परिवर्तन होता है! इसके दिन का मान एवं अक्ष का झुकाव पृथ्वी के समान है! यह अपनी धुरी पर 24 घंटे में एक बार पूरा चक्कर लगाता है! इसके दो उपग्रह है – फोबोस (Phobos) और डीमोस (Deimos)! सूर्य की परिक्रमा करने में इसे 687 दिन लगते हैं! सौरमंडल का सबसे बड़ा ज्वालामुखी ओलिपस मेसी एवं सौरमंडल का सबसे ऊँचा पर्वत निक्स ओलम्पिया जो माउंट एवेरेस्ट से तीन गुना अधिक ऊँचा है, इसी ग्रह पर है! मंगल पर बर्फ छात्र्कों और हिमशीतित जल की उपस्थिति है, इसलिए पृथ्वी के अलावा यह एकमात्र ग्रह है जिस पर जीवन की संभावना व्यक्त की जाती है!

 

शनि (Saturn) : यह आकार में दूसरा सबसे बड़ा ग्रह है! यह आकाश में पीले तारे की तरह दिखाई पड़ता है! इसकी विशेषता है, इसके तल के चारो ओर वलय का होना! वलय की संख्या 7 है! शनि का सबसे बड़ा उपग्रह टाइटन है जो सौरमंडल का दूसरा सबसे बड़ा उपग्रह है, यह आकार में बुध के बराबर है! टाइटन एकमात्र ऐसा उपग्रह है, जिसका पृथ्वी जैसा स्वयं का सघन वायुमंडल है! फ़ोबे नामक शनि का उपग्रह इसकी कक्षा में घुमने की विपरीत दिशा में परिक्रमा करता है!

 

अरुण (Uranus) : यह आकार में तीसरा सबसे बड़ा ग्रह है! इसका तापमान लगभग -215 डिग्री C है! इसकी खोज 1781 ई० में विलियम हर्शेल द्वारा की गई थी! इसके चरों ओर नौ वलयों में पांच वलयों का नाम अल्फा, बीटा, गामा, डेल्टा एवं इप्सिलौन है! यह अपने अक्ष पर पूर्व से पश्चिम की ओर घूमता है, जबकि अन्य ग्रह पश्चिम से पूर्व की घूमता है! यहाँ सूर्योदय पश्चिम की ओर एवं सूर्यास्त पूरब की ओर होता है! यह अपनी धुरी पर सूर्य की ओर इतना झुका हुआ है की लेटा हुआ सा दिखलाई पड़ता है, इसलिए इसे लेटा हुआ ग्रह कहा जाता है! इसके सभी उपग्रह भी पृथ्वी की विपरीत दिशा में परिभ्रमण करते हैं! इसका सबसे बड़ा उपग्रह टाईटेनिया है!

 

वरुण (Neptune) : इसकी खोज 1846 ई० में जर्मन खगोलज्ञ जहॉन गाले ने की है! नई खगोलीय व्यवस्था में यह सूर्य से सबसे दूर स्थित ग्रह है! यह हरे रंग का ग्रह है! इसके चारों ओर अति शीतल मीथेन का बादल छाया हुआ है! इसके उपग्रहों में ट्रीटोन (Triton) प्रमुख है!

 

पृथ्वी (Earth) : यह आकार में पांचवां सबसे बड़ा ग्रह है! यह सौरमंडल का एकमात्र ग्रह है, जिस पर जीवन है! इसका विषुवत व्यास 12756 किमी और ध्रुवीय व्यास 12714 किमी है! पृथ्वी अपने अक्ष पर साढ़े तेईस डिग्री झुकी हुई है! यह अपने अक्ष पर पश्चिम से पूर्व की ओर 1610 किमी प्रतिघंटा की चाल से 23 घंटे 56 मिनट और 4 सेकंड में एक चक्कर पूरा लगाती है! पृथ्वी की इस गति को घूर्णन या दैनिक गति कहते हैं! पृथ्वी को परिक्रमा करने में 365 दिन 5 घंटे 48 मिनट और 4 सेकंड का समय लगता है! सूर्य के चतुर्दिक पृथ्वी के इस परिक्रमा को पृथ्वी की वार्षिक गति या परिक्रमण कहते हैं! पृथ्वी को सूर्य की एक परिक्रमा करने में लगे समय को सौर वर्ष कहते हैं!

 

प्रत्येक सौर वर्ष, कैलेंडर वर्ष से लगभग 6 घंटे बढ़ जाता है, जिसे हर चौथे वर्ष में लिप वर्ष बनाकर समायोजित किया जाता है! लिप वर्ष 366 दिन का होता है, जिसके कारण फरवरी माह में 28 दिन के स्थान पर 29 दिन होते हैं! पृथ्वी पर ऋतु परिवर्तन, इसकी अक्ष पर झुके होने के कारण तथा सूर्य के सापेक्ष इसकी स्थिति में परिवर्तन यानि वार्षिक गति के कारण होती है! वार्षिक गति के कारण ही पृथ्वी पर दिन रात छोटा बड़ा होता है! आकार एवं बनावट की दृष्टि से पृथ्वी शुक्र के समान है! जल की उपस्थिति के कारण इसे नीला ग्रह भी कहा जाता है! इसका अक्ष इसकी कक्षा के सापेक्ष 66.5 का कोण बनाता है! सूर्य के बाद पृथ्वी के सबसे निकट का तारा प्रोक्सिमा सेंचुरी है, जो अल्फा सेंचुरी समूह का एक तारा है! यह पृथ्वी से 4.22 प्रकाशवर्ष दूर है! पृथ्वी का एकमात्र उपग्रह चन्द्रमा है! साइरस या डॉग स्टार पृथ्वी से 9 प्रकाशवर्ष दूर स्थित है एवं सूर्य से दोगुने द्रव्यमान वाला तारा है, यह रात्रि में दिखाई पड़ने वाला सर्वाधिक चमकीला तारा है!

 

चन्द्रमा (Moon) : चन्द्रमा की सतह और उसकी आंतरिक स्थिति का अध्ययन करने वाला विज्ञान सेलेनोलॉजी कहलाता है! इस पर धूल के मैदान को शांति सागर कहते हैं! यह चन्द्रमा का पिछला भाग है जो अंधकारमय होता है! चन्द्रमा का उच्चतम पर्वत लिबनिटज पर्वत है, जो 35000 फुट ऊँचा है! यह चन्द्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर स्थित है! चन्द्रमा को जीवाश्म ग्रह भी कहते हैं! चन्द्रमा पृथ्वी की एक परिक्रमा लगभग 27 घंटे 8 दिन में पूरा करता है! और इतने ही समय में अपने अक्ष पर एक घूर्णन करता है! यही कारण है की चन्द्रमा का सदैव एक ही भाग दिखाई पड़ता है! पृथ्वी से चन्द्रमा का 57% भाग को देखा जा सकता है! चन्द्रमा का अक्ष तल पृथ्वी के अक्ष के साथ 58.48 डिग्री का अक्ष कोण बनाता है! चन्द्रमा पृथ्वी के अक्ष के समानान्तर है!

 

चन्द्रमा का व्यास 3480 किमी तथा द्रव्यमान, पृथ्वी के द्रव्यमान का लगभग 81वाँ भाग है! पृथ्वी के समान इसका परिक्रमण पथ भी दीर्घवृताकार है! सूर्य के संदर्भ में चन्द्रमा की परिक्रमा अवधि 29.53 दिन (29 दिन 12 घंटे 44 मिनट और 2.8 सेकंड) होती है! इस समय को चंद्रमास या साइनोडिक मास कहते हैं! नक्षत्र समय के दृष्टिकोण से चन्द्रमा लगभग साढ़े सताईस दिन (27 दिन 7 घंटे 43 मिनट 11.6 सेकंड) होती है! साढ़े सताईस दिन की यह अवधि नक्षत्र मास कहलाती है! ज्वार उठने के लिए अपेक्षित सौर एवं चन्द्रमा की शक्तियों का अनुपात 11:5 है! और पढ़ें : भारत के संसदीय कार्यप्रणाली से सम्बंधित महत्वपूर्ण शब्दावली

 

चन्द्रमा भी उतना ही पुराना है, जितना पृथ्वी (लगभग 460 करोड़ वर्ष)! इसकी चट्टानों में टाइटेनियम की मात्र अत्यधिक मात्रा में पाई गयी है! सुपर मून – जब चन्द्रमा पृथ्वी के सबसे निकट होता है, तो उस स्थिति को सुपर मून कहते हैं! इसे पेरीजी फूल मून भी कहते हैं! इसमें चाँद 14% ज्यादा बड़ा और 30% अधिक चमकीला दिखाई पड़ता है! चन्द्रमा और पृथ्वी के बिच की औसतन दूरी 384365 किमी है! ब्लू मून – एक कैलेंडर माह में जब दो पूर्णिमा हो, तो दूसरी पूर्णिमा का चाँद ब्लू मून कहलाता है! वस्तुतः इसका मुख्य कारण दो पूर्णिमाओं के बिच अन्तराल 31 दिन से कम होना है! ऐसा हर दो तीन साल पर होता है! जब किसी वर्ष विशेष में दो या अधिक माह ब्लू मून के होते हैं, उसे मून इयर कहा जाता है!

 

बौने ग्रह –

यम (Pluto) : इसकी खोज 1930 में क्लाड टामवो ने की थी! पहले यह ग्रह में शामिल था, फिर 2006 में प्राग सम्मलेन में इसे ग्रह कहलाने के मापदंड पर खरे नहीं उतरने के कारण ग्रह से अलग कर बौने ग्रह की श्रेणी में रखा गया! लेकिन शायद अब फिर से इसे ग्रह में शामिल करने की बात कही जा रही है! यम को ग्रह की श्रेणी से निकले जाने की प्रमुख वजह थी – (i) आकार में चन्द्रमा से छोटा होना! (ii) इसकी कक्षा का वृताकार नहीं होना! (iii) वरुण की कक्षा को काटना! इसका नया नाम 134340 रखा है!

 

सेरस (Ceres) : इसकी खोज इटली के खगोलशास्त्री पियाजी ने किया था! इसे बौने ग्रह की श्रेणी में रखा गया है, जहाँ इसे संख्या 1 से जाना जाता है! इसका व्यास बुध के व्यास का पाँचवा भाग है! अन्य बौने ग्रह चेरौन और 2003 UB 313 (इरिस) है!

 

लघु सौरमंडलीय पिंड –

क्षुद्र ग्रह (Asteroids) : मंगल और वृहस्पति ग्रह की कक्षाओं के बिच कुछ छोटे छोटे आकाशीय पिंड हैं जो सूर्य की परिक्रमा करते हैं, उसे क्षुद्र ग्रह कहते हैं! ग्रहों के विस्फोट के फलस्वरूप टूटे टुकड़ों से क्षुद्र ग्रह का निर्माण हुआ है! फोर वेस्टा एकमात्र क्षुद्र ग्रह है जिसे नंगी आँखों से देखा जा सकता है!

 

धूमकेतु (Comet) : सौरमंडल के छोर पर बहुत ही छोटे छोटे अरबों पिंड विद्यमान हैं, जिन्हें धूमकेतु या पुच्छल तारे कहते हैं! यह गैस एवं धूल का संग्रह है, जो आकाश में लंबी चमकदार पूंछ सहित प्रकाश के चमकीले गोले के रूप में दिखाई देते हैं! धूमकेतु केवल तभी दिखाई पड़ता है जब वह सूर्य की ओर अग्रसर होता है क्योंकि सूर्य की किरणें इसकी गैस को चमकीला बना देता है! धूमकेतु की पूंछ हमेसा सूर्य से दूर होता दिखाई देता है! हैले नमक धूमकेतु का परिक्रमण काल 76 वर्ष है, यह अंतिम बार 1986 में दिखाई दिया था! आगली बार 2062 में दिखाई देगा! धूमकेतु हमेशा के लिए टिकाऊ नहीं होते हैं, फिर भी प्रत्येक धूमकेतु के लौटने का समय निश्चित होता है!

 

उल्का (Meteors) : उल्काएँ प्रकाश की चमकीली धारी के रूप में दिखती हैं, जो आकाश में क्षण भर के लिए दमकती हैं और फिर लुप्त हो जाती हैं! उल्काएँ क्षुद्र ग्रहों के टुकड़े तथा धूमकेतुओं द्वारा छोड़े गए धूल के कण होते हैं!

 

ग्रहों से सम्बंधित विवरण :

ग्रहों के नाम व्यास (किमी) परिभ्रमण समय अपने अक्ष पर परिक्रमण समय सूर्य के चारो ओर उपग्रहों की संख्या
 बुध 4878 58.6 दिन 88 दिन 0
 शुक्र 12104 243 दिन 224.7 दिन 0
 पृथ्वी 12756-12714 23.9 घंटे 365.26 दिन 1
 मंगल 6796 24.6 घंटे 687 दिन 2
 वृहस्पति 142984 9.9 घंटे 11.9 वर्ष 63
 शनि 120536 10.3 घंटे 29.5 वर्ष 62
 अरुण 51118 17.2 घंटे 84 वर्ष 27
 वरुण 49100 17.1 घंटे 164.8 वर्ष 13

 

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