• अबाउट
  • प्राइवेसी
  • संपर्क
Ganga News
  • होम
  • देश
  • विचार
  • विदेश
  • मनोरंजन
  • राज्य
  • लाइफस्टाइल
  • तकनीक
  • सामाजिक
  • More
    • प्लेस
    • जानकारी
    • साहित्य
    • ब्रेकिंग न्यूज़
    • शिक्षा
    • व्यक्ति
    • ENGLISH
No Result
View All Result
Ganga News
  • होम
  • देश
  • विचार
  • विदेश
  • मनोरंजन
  • राज्य
  • लाइफस्टाइल
  • तकनीक
  • सामाजिक
  • More
    • प्लेस
    • जानकारी
    • साहित्य
    • ब्रेकिंग न्यूज़
    • शिक्षा
    • व्यक्ति
    • ENGLISH
No Result
View All Result
Ganga News
No Result
View All Result
Home धर्म

भारतीय धर्मग्रंथ एवं दर्शन से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी

by gnstaff
February 21, 2020
in धर्म, शिक्षा
Share on FacebookShare on TwitterShareShare

हिन्दू धर्म देवी देवताओं प्रवर्तित धर्म है। इसका एक आधार वेदादि धर्मग्रन्थ है, जिनकी संख्या बहुत बड़ी है। ये सब दो में विभक्त हैं – (१) इस श्रेणी के ग्रन्थ श्रुति कहलाते हैं। ये अपौरुषेय माने जाते हैं। इसमें वेद की चार संहिताओं, ब्राह्मणों, अरण्यकों, उपनिषदों, वेदाङ्ग, सूत्र आदि ग्रन्थों की गणना की जाती है। (२) इस श्रेणी के ग्रन्थ स्मृति कहलाते हैं। ये ऋषि प्रणीत माने जाते हैं। इस श्रेणी में 18 स्मृतियाँ, 18 पुराण तथा रामायण व महाभारत ये दो इतिहास भी माने जाते हैं। आगम ग्रन्थ भी स्मृति-श्रेणी में माने जाते हैं। प्रस्थानत्रयी भगवद्गीता तथा ब्रह्मसूत्र उपनिषदों के साथ मिलकर वेदान्त की ‘प्रस्थानत्रयी’ कहलाते हैं।

 

ऐसा माना जाता है भारतीय संस्कृति और धर्म से जुड़े अधिकतर ग्रंथों और साहित्यों की रचना जिस काल में हुए वो था वैदिक सभ्यता का काल! भारत का सर्वप्राचिन धर्मग्रंथ वेद है, जिसके संकलनकर्ता महर्षि कृष्ण द्वैपायन वेदव्यास को माना जाता है! वेद चार हैं – ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद एवं अथर्ववेद!

RelatedPosts

विभिन्न क्षेत्रों में भारत और विश्व में प्रथम व्यक्ति तथा विभिन्न विषय

भारत के प्रमुख वन्य जीव अभ्यारण्य और राष्ट्रिय उद्यान

भारत की प्रमुख बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजना

 

वेद :

ऋग्वेद : ऋचाओं के क्रमबद्ध ज्ञान के संग्रह को ऋग्वेद कहा जाता है! इसमें 10 मंडल, 1028 सूक्त एवं 10462 ऋचाएँ हैं! इस वेद के ऋचाओं के पढ़ने वाले ऋषि को होतृ कहते हैं! इस वेद से आर्य के राजनीतिक प्रणाली एवं इतिहास के बारे में जानकारी मिलती है! विश्वामित्र द्वारा रचित ऋग्वेद के तीसरे मंडल में सूर्य देवता सावित्री को समर्पित प्रसिद्ध गायत्री मंत्र है! इसके 9वें मंडल में देवता सोम का उल्लेख है! इसके 8वें मंडल की हस्तलिखित ऋचाओं को खिल कहा जाता है!

 

चातुश्वर्न्य समाज की कल्पना का आदि स्रोत ऋग्वेद के 10वें मंडल में वर्णित पुरुषसूक्त है, जिसके अनुसार चार वर्ण (ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य तथा शुद्र) आदि पुरुष ब्रह्मा के क्रमशः मुख, भुजाओं, जंघाओं और चरणों से उत्पन्न हुए! धर्मसूत्र चार प्रमुख जातियों की स्थितियों, व्यवसायों, दायित्वों, कर्तव्यों तथा विशेषाधिकारों में स्पष्ट विभेद करता है! वामनावतार के तीन पगों के आख्यान का प्राचीनतम स्रोत ऋग्वेद है! ऋग्वेद में इंद्र के लिए 250 तथा अग्नि के लिए 200 ऋचाओं की रचना की गई है! प्राचीन इतिहास के साधन के रूप में वैदिक साहित्य में ऋग्वेद के बाद शतपथ ब्राह्मण का स्थान है!

 

यजुर्वेद : सस्वर पाठ के लिए मन्त्रों तथा बलि के समय अनुपालन के लिए नियमों का संकलन यजुर्वेद कहलाता है। इसके पाठकर्ता को अध्वर्यु कहते हैं। यह एक ऐसा वेद है जो गद्य एवं पद्य दोनों में है। इस वेद की दो संहितायें हैं – शुक्ल यजुर्वेद संहिता एवं कृष्ण यजुर्वेद संहिता।

 

सामवेद : यह गायी जा सकने वाली ऋचाओं का संकलन है। इसके पाठकर्ता को उद्रातृ कहते हैं! इसे भारतीय संगीत का जनक कहा जाता है। यह कोई स्वतन्त्र संहिता नहीं है। इसके अधिकांश मन्त्र ऋग्वेद के ही हैं। केवल 78 मंत्र इसके अपने हैं। कुल 1875 मन्त्र हैं। यह संहिता दो भागों में विभक्त है – पूर्वार्चिक एवं उत्तरार्चिक।

 

अथर्ववेद : अथर्वा ऋषि द्वारा इस वेद में रोग, निवारण, तंत्र मंत्र, जादू टोना, शाप, वशीकरण, आशिर्वाद, स्तुति, प्रायश्चित, औषधि, अनुसंधान, विवाह, प्रेम, राजकर्म, मातृभूमि महात्मय आदि विविध विषयों से संबद्ध मंत्र तथा सामान्य मनुष्यों के विचारों, विश्वासों, अंधविश्वासों इत्यादि का वर्णन है! इसमें सभा एवं समितियों को प्रजापति की दो पुत्रियाँ कहा गया है! सबसे प्राचीन वेद ऋग्वेद एवं सबसे बाद का वेद अथर्ववेद है! यह संहिता 20 काण्डों में विभक्त है। प्रत्येक काण्ड अनुवाकों और अनुवाक 760 सूक्तों में विभक्त है। इस संहिता में 1200 मन्त्र ऋक्-संहिता के हैं। कुल मन्त्र संख्या 5977 है।

 

भारतीय ऐतिहासिक कथाओं का सबसे अच्छा क्रमबद्ध विवरण पुराणों में मिलता है! इसके रचयिता लोमहर्ष अथवा इनके पुत्र उग्रश्रवा माने जाते हैं! इनकी संख्या 18 है, जिनमें से केवल पाँच – मतस्य, वायु, विष्णु, ब्राह्मण एवं भागवत में ही राजाओं की वंशावली पायी जाती है! पुराणों में मत्स्यपुराण सबसे प्राचीन एवं प्रामाणिक है! मत्स्य पुराण का आन्ध्र सातवाहन वंश, विष्णु पुराण का मौर्य वंश और वायु पुराण का गुप्त वंश से संबंध माना जाता है!

वेदांग :

वेदों को भली भांति समझने के लिए छह वेदांगों की रचना हुई – शिक्षा, ज्योतिष, कल्प, व्याकरण, निरुक्त तथा छंद! वेदांग का शाब्दिक अर्थ है वेदों का अंग, तथापि इस साहित्य के पौरूषेय होने के कारण श्रुति साहित्य से पृथक ही गिना जाता है। वेदांग को स्मृति भी कहा जाता है, क्योंकि यह मनुष्यों की कृति मानी जाती है। वेदांग सूत्र के रूप में हैं इसमें कम शब्दों में अधिक तथ्य रखने का प्रयास किया गया है।

  1. शिक्षा– स्वर ज्ञान
  2. कल्प– धार्मिक रीति एवं पद्धति
  3. निरुक्त– शब्द व्युत्पत्ति शास्त्र
  4. व्याकरण– व्याकरण
  5. छंद– छंद शास्त्र
  6. ज्योतिष– खगोल विज्ञान

 

ब्राह्मण :

वैदिक मन्त्रों तथा संहिताओं को ब्रह्म कहा गया है। वहीं ब्रह्म के विस्तारित रुप को ब्राह्मण कहा गया है। पुरातन ब्राह्मण में ऐतरेय, शतपथ, पंचविश, तैतरीय आदि विशेष महत्वपूर्ण हैं। महर्षि याज्ञवल्क्य ने मन्त्र सहित ब्राह्मण ग्रंथों की उपदेश आदित्य से प्राप्त किया है। संहिताओं के अन्तर्गत कर्मकांड की जो विधि उपदिष्ट है, ब्राह्मण मे उसी की सप्रमाण व्याख्या देखने को मिलता है। प्राचीन परम्परा में आश्रमानुरुप वेदों का पाठ करने की विधि थी अतः ब्रह्मचारी ऋचाओं ही पाठ करते थे ,गृहस्थ ब्राह्मणों का, वानप्रस्थ आरण्यकों और संन्यासी उपनिषदों का। गार्हस्थ्यधर्म का मननीय वेदभाग ही ब्राह्मण है।

और पढ़ें : वैदिक सभ्यता, संस्कृति, साहित्य, धर्म और दर्शन की जानकारी

 

आरण्यक :

आरण्यक वेदों का वह भाग है जो गृहस्थाश्रम त्याग उपरान्त वानप्रस्थ लोग जंगल में पाठ किया करते थे | इसी कारण आरण्यक नामकरण किया गया। इसका प्रमुख प्रतिपाद्य विषय रहस्यवाद, प्रतीकवाद, यज्ञ और पुरोहित दर्शन है। वर्तमान में सात अरण्यक उपलब्ध हैं। सामवेद और अथर्ववेद का कोई आरण्यक स्पष्ट और भिन्न रूप में उपलब्ध नहीं है।

 

उपनिषद :

उपनिषद प्राचीनतम दार्शनिक विचारों का संग्रह है। उपनिषदों में ‘वृहदारण्यक’ तथा ‘छान्दोन्य’, सर्वाधिक प्रसिद्ध हैं। इन ग्रन्थों से बिम्बिसार के पूर्व के भारत की अवस्था जानी जा सकती है। परीक्षित, उनके पुत्र जनमेजय तथा पश्चात कालीन राजाओं का उल्लेख इन्हीं उपनिषदों में किया गया है। इन्हीं उपनिषदों से यह स्पष्ट होता है कि आर्यों का दर्शन विश्व के अन्य सभ्य देशों के दर्शन से सर्वोत्तम तथा अधिक आगे था। आर्यों के आध्यात्मिक विकास, प्राचीनतम धार्मिक अवस्था और चिन्तन के जीते-जागते जीवन्त उदाहरण इन्हीं उपनिषदों में मिलते हैं। उपनिषदों की रचना संभवतः बुद्ध के काल में हुई, क्योंकि भौतिक इच्छाओं पर सर्वप्रथम आध्यात्मिक उन्नति की महत्ता स्थापित करने का प्रयास बौद्ध और जैन धर्मों के विकास की प्रतिक्रिया के फलस्वरूप हुआ।

  1. कुल उपनिषदों की संख्या 108 है।
  2. मुख्य रूप से शास्वत आत्मा, ब्रह्म, आत्मा-परमात्मा के बीच सम्बन्ध तथा विश्व की उत्पत्ति से सम्बंधित रहस्यवादी सिद्धांतों का विवरण दिया गया है।
  3. “सत्यमेव जयते” मुण्डकोपनिषद से लिया गया है।
  4. मैत्रायणी उपनिषद् में त्रिमूर्ति और चार्तु आश्रम सिद्धांत का उल्लेख है।

 

सूत्र साहित्य :

सूत्र साहित्य वैदिक साहित्य का अंग है तथा यह उसे समझने में सहायक भी है।

  1. ब्रह्म सूत्र-भगवान विष्णु के अवतार भगवान श्री वेद व्यास ने वेदांत पर यह परमगूढ़ ग्रंथ लिखा है जिसमें परमसत्ता, परमात्मा, परमसत्य, ब्रह्मस्वरूप ईश्वर तथा उनके द्वारा सृष्टि और ब्रह्मतत्त्व वर गूढ़ विवेचना की गई है। इसका भाष्य श्रीमद् आदिशंकराचार्य जी ने भगवान व्यास जी के कहने पर लिखा था।
  2. कल्प सूत्र– ऐतिहासिक दृष्टि से सर्वाधिक महत्वपूर्ण। वेदों का हस्त स्थानीय वेदांग।
  3. श्रोत सूत्र– महायज्ञ से सम्बंधित विस्तृत विधि-विधानों की व्याख्या। वेदांग कल्पसूत्र का पहला भाग।
  4. स्मार्तसूत्र – षोडश संस्कारों का विधान करने वाला कल्प का दुसरा भाग।
  5. शुल्बसूत्र– यज्ञ स्थल तथा अग्निवेदी के निर्माण तथा माप से सम्बंधित नियम इसमें हैं। इसमें भारतीय ज्यामिति का प्रारम्भिक रूप दिखाई देता है। कल्प का तीसरा भाग।
  6. धर्म सूत्र– इसमें सामाजिक धार्मिक कानून तथा आचार संहिता है। कल्प का चौथा भाग
  7. गृह्य सूत्र– परुवारिक संस्कारों, उत्सवों तथा वैयक्तिक यज्ञों से सम्बंधित विधि-विधानों की चर्चा है।

 

अधिकतर पुराण सरल संस्कृत श्लोक में लिखे गये हैं! पुराणों का पाठ पुजारी मंदिर में किया करते थे! वेद – 04, वेदांग – 06, महापुराण – 18 तथा उपनिषदों की कुल संख्या 108 है! स्त्री की सबसे गिरी हुई स्थिति मैत्रेयनी संहिता से प्राप्त होती है जिसमें जुआ और शराब की भांति स्त्री को पुरुष का तीसरा मुख्य दोष बताया गया है! सतपथ ब्राह्मण में स्त्री को पुरुष का अर्धांगिनी कहा गया है! स्मृतिग्रंथों में सबसे प्राचीन एवं प्रामाणिक मनुस्मृति मानी जाती है! यह शुंग काल का मानक ग्रंथ है! नारद स्मृति गुप्त युग के विषय में जानकारी प्रदान करता है!

 

प्रमुख भारतीय दर्शन एवं उसके प्रवर्तक :

 दर्शन प्रवर्तक
 चार्वाक चार्वाक
 योग पतंजलि
 सांख्य कपिल
 न्याय गौतम
 पूर्वमीमांसा
जैमिनी
 उत्तरमीमांसा
बादरायण
 वैशेषिक कणाद या उलूक

और पढ़ें : महावीर स्वामी, उनके उपदेश और जैन धर्म से सम्बंधित जानकारी

 

उम्मीद है ये रोचक पोस्ट आपको जरुर पसंद आया होगा! पोस्ट को पढ़ें और शेयर करें (पढाएं) तथा अपने विचार, प्रतिक्रिया, शिकायत या सुझाव से नीचे दिए कमेंट बॉक्स के जरिए हमें अवश्य अवगत कराएं! आप हमसे हमसे  ट्विटर  और  फेसबुक  पर भी जुड़ सकते हैं!

Tags: general knowledgeindian philosophyindian Scriptureभारतीय दर्शनभारतीय धर्मग्रंथसामान्य ज्ञान
Previous Post

भारत में छठी शताब्दी में हुए भक्ति आंदोलन के प्रमुख संत

Next Post

अंग्रेजी शासन के विरुद्ध महत्वपूर्ण विद्रोह एवं क्रांति

Related Posts

विभिन्न क्षेत्रों में भारत और विश्व में प्रथम व्यक्ति तथा विभिन्न विषय

भारत की प्रमुख झीलें एवं भारत के प्रमुख जलप्रपात

April 9, 2022

भारत के प्रमुख बाघ अभ्यारण्य कौन कौन हैं

March 21, 2022
विभिन्न क्षेत्रों में भारत और विश्व में प्रथम व्यक्ति तथा विभिन्न विषय

भारत के प्रमुख स्थानों के भौगोलिक उपनाम

March 21, 2022
विभिन्न क्षेत्रों में भारत और विश्व में प्रथम व्यक्ति तथा विभिन्न विषय

भारत के पडोसी देश, उससे लगते भारतीय राज्य एवं भारत के प्रमुख दर्रे

October 14, 2021
विभिन्न क्षेत्रों में भारत और विश्व में प्रथम व्यक्ति तथा विभिन्न विषय

विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े भारत में प्रथम पुरुष तथा प्रथम महिला

October 14, 2021
विभिन्न क्षेत्रों में भारत और विश्व में प्रथम व्यक्ति तथा विभिन्न विषय

माप तौल के विभिन्न मात्रक

October 14, 2021
Next Post

अंग्रेजी शासन के विरुद्ध महत्वपूर्ण विद्रोह एवं क्रांति

Leave Comment

Reccent Posts

काशिका कपूर ने नए अभियान के लिए मोबाइल ब्रांड OPPO के साथ हाथ मिलाया

काशिका कपूर ने नए अभियान के लिए मोबाइल ब्रांड OPPO के साथ हाथ मिलाया

March 20, 2023
PM नरेंद्र मोदी ने बेंगलुरु मैसूर एक्सप्रेसवे का लोकार्पण किया

PM नरेंद्र मोदी ने बेंगलुरु मैसूर एक्सप्रेसवे का लोकार्पण किया

March 12, 2023
अनुष्का शर्मा और सलमान खान को पीछे छोड़ उर्वशी रौतेला बनी इन्स्टाग्राम पर सबसे ज़्यादा फॉलो वाले स्टार

अनुष्का शर्मा और सलमान खान को पीछे छोड़ उर्वशी रौतेला बनी इन्स्टाग्राम पर सबसे ज़्यादा फॉलो वाले स्टार

March 12, 2023
Aparna Nayr yo yo honey singh

यो-यो हनी सिंह की अभिनेत्री अपर्णा नायर के बारे में 10 अज्ञात तथ्य

March 12, 2023
स्वाति मालीवाल ने अपने ही पिता पर लगाए यौन शोषण के आरोप

स्वाति मालीवाल ने अपने ही पिता पर लगाए यौन शोषण के आरोप

March 11, 2023
Karishma Sachdev : करिश्मा सचदेव जीवन परिचय प्रोफाइल

Karishma Sachdev : करिश्मा सचदेव जीवन परिचय प्रोफाइल

March 9, 2023
  • अबाउट
  • प्राइवेसी
  • पोस्ट पॉलिसी
  • संपर्क
अपने विचार प्रकाशित करें।

© Ganga News - Hindi News Media Network

डीटीवी
  • देश
  • विदेश
  • मनोरंजन
  • तकनीक
  • लाइफस्टाइल
  • विचार
  • सामाजिक
  • साहित्य
  • राज्य
  • ENGLISH

© Ganga News - Hindi News Media Network