Orchha Fort | अगर आप घूमने फिरने के शौकीन है और हर बार एक नई जगह की तलाश करते हैं तो आज हम आपको बताएंगे मध्य प्रदेश में स्थित एक ऐसे किले के बारे में जो बहुत अनोखा है। यह किला अपनी बनावट और सुंदरता की वजह से काफी चर्चा में रहता है और इस किले को देखने के लिए हमेशा ही लोगों का हुजूम उमडा रहता है। तो चलिए जानते हैं इस किले की खासियत और इस किले का इतिहास…।
दरअसल, हम जिस किले के बारे में बात कर रहे हैं वो किला मध्य प्रदेश, भारत के झांसी जिले में स्थित ओरछा किला है जो एक वस्तुकला का रूप माना जाता है। इस किले में आपको मध्यकालीन भारतीय इतिहास की भव्यता और स्मृति देखने को मिलेगी। 16वीं शताब्दी में ओरछा के पहले राजा रूद्र प्रताप सिंह द्वारा बनाया गया यह किला राजपूत और मुगल स्थापत्य शैलियों का एक मिश्रण है।
यह ओरछा किला मध्य प्रदेश में झांसी से 16 किलोमीटर दूर बेतवा नदी के किनारे बना हुआ है। किले का मुख्य आकर्षण यहां बना हुआ राजमहल है। इसके अलावा इस किले में आपको फूल बाग, शीश महल, राय प्रवीण महल, जहांगीर महल जैसे बड़े-बड़े आलीशान महल देखने को मिल जाएंगे। कहा जाता है कि इस किले के एक हिस्से को रामराज में बदल दिया गया।
किले की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें हिंदू और मुस्लिम दोनों पूजा करने आते हैं। दरअसल इस परिसर में राजा महल बना जिसका निर्माण 1556 से 1591 के बीच में राजा मधुकर शाह ने करवाया यही वीर सिंह देव ने 1605 और 1627 के बीच सावन भादो महल और जहांगीर महल बनवाया। ऐसे में आपको इस किले की वास्तुकला में बुंदेलखंडी और मुगल प्रभाव का मिश्रण देखने को मिलता है। वहीं इसमें मौजूद शीश महल, बुंदेला शासको की भव्य जीवन शैली को प्रतिबिंबित करता है। यहां का शीश महल अभी हेरिटेज होटल बन चुका है जो शीशे का बना हुआ है।
ओरछा में स्थित प्रभु राम को लेकर एक बात यह भी बहुत प्रचलित है कि 16वीं सदी में जिस समय भारत में विदेशी आक्रांता मंदिर और मूर्तियों को तोड़ रहे थे तब यहां अयोध्या के संतों ने जन्मभूमि में विराजमान श्री राम के विग्रह को जलसमाधि देकर श्री राम की मूर्ति को बालू में दबा दिया था। कहा जाता है कि यही प्रतिमा रानी कुमारी गणेश ओरछा लेकर आई थी। साहित्यकार कहते हैं कि 16वीं सदी में ओरछा के शासक मधुकर शाही एकमात्र ऐसे पराक्रमी हिंदु राजा थे जो अकबर के दरबार में बगावत कर चुके थे।
ओरछा का ये किला ऐसा किला है जिसे यूनेस्को ने विश्व धरोहर में भी शामिल कर लिया गया है। जी हां साल 2021 में ओरछा को यूनेस्को विश्व धरोहर स्थलों की सूची में शामिल किया गया जो इसके सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व को मान्यता देता है।
यदि आप इस किले में जाना चाहते हैं तो ओरछा का किला प्रतिदिन सुबह 9:00 से लेकर शाम बजे तक खुला रहता है। इसमें प्रवेश करने का शुल्क केवल 10 रुपए हैं जबकि विदेशी नागरिकों के लिए 250 रुपए के आसपास बताया जाता है। यहां पर घूमने का सर्वोत्तम समय अक्टूबर से लेकर मार्च के बीच होता है। इस बीच आप इसे देखने के लिए आ सकते हैं।
ओरछा किले के अलावा आप यहां पर बेतवा नदी के तट पर स्थित छतरियां भी देख सकते हैं। इन छतरियों को देखने के बाद आप इतिहास को समझ पाएंगे। इसके अलावा यहां पर ओरछा वन्य जीव अभ्यारण भी है। ऐसे में यदि आप प्रकृति और पक्षी के प्रेमी है तो यहां पर आपको जरूर जाना चाहिए। इसके अलावा आपको यहां पर एक सुंदर बाग परिसर भी देखने का मिलेगा जिसे देखने के लिए हजारों लोग आते हैं।
ओरछा जाना बहुत ही आसान है। आप यहां पर ट्रेन बस और हवाई रास्ते भी जा सकते हैं। ओरछा जाने के लिए आपको सबसे पहले ग्वालियर जाना पड़ेगा। हवाई जहाज से भी आपको ग्वालियर जाना पड़ेगा। इसके बाद आप झांसी जा सकते हैं और झांसी से सीधे ओरछा जा सकते हैं। वही ट्रेन भी आपको झाँसी ही छोड़ेगी और झांसी से आप ओरछा के लिए बस या टैक्सी ले सकते हैं। इसके अलावा यदि आप बस से जा सकते हैं तो दिल्ली, राजस्थान, मुंबई, आगरा जैसे कई शहरों से झांसी के लिए बस मिलती है। झांसी बस स्टैंड पर आने के बाद आप ओरछा के लिए रिक्शा या टैक्सी ले सकते हैं। Orchha Fort | Madhya Pradesh | Incredible India | MP Tourism