Donald Trump की Afghanistan को धमकी, अगर Bagram Airbase नहीं दिया तो बहुत बुरा होगा | बगराम एयरबेस को लेकर अमेरिका, अफगानिस्तान और चीन के बिच माहौल गर्म हो गया है. अफगानिस्तान के बगराम एयरबेस पर गड चुकी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की नजर. अमेरिका अब इस एयरबेस पर फिर से कब्ज़ा करना चाहता है.
पूरा मामला तब शुरू हुआ जब ब्रिटेन की राजकीय यात्रा पर गए अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने खुलेआम ये घोषणा कर दी की अफगानिस्तान के बगराम हवाई अड्डे पर दोबारा कब्जे को लेकर उनका प्रशासन काम कर रहा है। वह चीन के बगराम बेस पर नियंत्रण की संभावना से परेशान हैं और इस पर फिर से अपना कब्जा चाहते हैं। अमेरिका को यह हवाई अड्डा कभी छोड़ना ही नहीं चाहिए था। वह इस एयरबेस को वापस पाने की कोशिश इसलिए कर रहे हैं क्योंकि यह चीन के परमाणु हथियार बनाने वाले स्थान के बहुत नजदीक है। और इस एयर बेस पर अमेरिकी सैनिक जल्द वापस लौट सकते हैं।
ट्रम्प के इस बयान के बाद माहौल काफी गर्म हो गया. इस पुरे मामले को लेकर चीन ने तो अपनी सधी हुई प्रतिक्रिया देते हुए कहा की बगराम एयर बेस पर अमेरिकी उपस्थिति का फैसला अफगानिस्तान की सरकार पर छोड़ देना चाहिए। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने शुक्रवार को ट्रंप की टिप्पणियों के जवाब में कहा कि चीन ने हमेशा अफगानिस्तान की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता का सम्मान किया है। अफगानिस्तान का भविष्य अफगान लोगों के हाथों में होना चाहिए।
लेकिन पीछे से चीन की शह पाकर अफगानिस्तान की हुकूमत चला रहे तालिबान ने ट्रम्प के इस बड़े बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया दी. तालिबान ने अपनी प्रतिक्रिया में ट्रम्प को साफ़ कह दिया, कि बगराम एयरबेस को अमेरिका को वापस देने का कोई सवाल ही नहीं उठता. तालिबानी विदेश मंत्रालय की तरफ से कहा गया कि अफगानिस्तान और अमेरिका को आपस में बातचीत करनी चाहिए और आपसी सम्मान और साझा हितों के आधार पर दोनों आर्थिक व राजनीतिक रिश्ते बना सकते हैं, लेकिन अफगानिस्तान में अमेरिका की किसी भी सैन्य मौजूदगी के बिना.
अब सवाल उठता है की क्या ही इस बगराम ऐस्र्बसे में जिसे लेकर अमेरिका इतना उतावला हो रहा है. तो आप बगराम को सिर्फ एक एयरबेस मत समझिए, ये एक छोटे मोटे शहर जितना बड़ा क्षेत्र है जो करीब करीब 3300 एकड़ में फैला है. जब अमेरिका ने अफगानिस्तान पर हमला कर वहां की शासन व्यवस्था को अपने हाथ में लिया था, तब बगराम एयरबेस अफगानिस्तान में अमेरिका का सबसे बड़ा और सबसे महत्वपूर्ण सैन्य अड्डा था. इसका मुख्य रनवे 7 किलोमीटर से भी ज्यादा लंबा है. और एक समय में यहां करीब 40,000 सैनिक और कॉन्ट्रैक्टर तैनात थे. यही वो मुख्य सैन्य ठिकाना था, जहां से अमेरिका ने तालिबान के खिलाफ पूरे अफगानिस्तान में ऑपरेशन चलाए थे. लेकिन 2021 में जब तालिबान, अफगानिस्तान की सरकारी फौजों पर हावी होने लगी तब अमेरिका ने अपनी सेना यहाँ से हटा ली और इस एयरबेस पर तालिबान का कब्ज़ा हो गया.
अब अमेरिका फिर से इस हवाई अड्डे पर वापस अपना कब्ज़ा चाहता है. हालाँकि अमेरिका के कई रक्षा विशेषज्ञ, फिर से कब्जा करने को व्यावहारिक नहीं मानते क्योंकि तालिबान के अफगानिस्तान पर पूर्ण कब्जे के बाद इस एयरबेस को सुरक्षित रखना चुनौतीपूर्ण होगा. इतने बड़े एयरबेस को इस्लामिक स्टेट और अल-कायदा जैसे आतंकी संगठनों के राकेट हमले के खतरों से सुरक्षित रखना भी बड़ी चुनौती होगी. बगराम पर कब्जा बनाए रखने के लिए हजारों सैनिकों की भी जरूरत होगी. इस बेस को फिर से इस्तेमाल लायक दुरुस्त करने में भारी खर्च आएगा और रसद की सप्लाई भी बड़ी समस्या होगी. अब ऐसे में ट्रम्प तो ऐलान कर दिया लेकिन क्या ये इतना आसन होने वाला है और क्या तालिबान ट्रम्प के प्रस्ताव को आसानी से मान लेगा?
क्या सच में अमेरिका चीन पर ही नजर रखने के लिए इस एयरबेस पर वापस अपना कब्ज़ा चाहता है या उसका मकसद कुछ और है? बुलेटिन ऑफ एटॉमिक साइंसेज़ के डेटा के मुताबिक, बगराम एयरबेस के 1,000 किलोमीटर के दायरे में चीन का परमाणु ठिकाना होने का कोई पक्का सुबूत नहीं है, उसके सभी परमाणु ठिकाने बगराम से काफी दुरी पर हैं, हालाँकि सिर्फ एक जगह काश्गर है जो बगराम से सिर्फ 700 किलीमीटर की दुरी पर है, जहाँ परमाणु ठिकाना होने की संभावना है. फिर किस पर नजर रखने के लिए ट्रम्प को बगराम एयरबेस चाहिए? कहीं ऐसा तो नहीं की ऑपरेशन सिन्दूर के दौरान पाकिस्तान में रखे अमेरिकी परमाणु हथियारों की सुरक्षा को पैदा हुए खतरे के बाद अब अमेरिका को उसे सुरक्षित रखने के लिए नया ठिकाना चाहिए? या फिर भारत के परमाणु गतिविधि पर नजर रखने के लिए अमेरिका को ये ठिकाना चाहिए? इस पुरे पहल के पीछे अमेरिका की क्या सोच है ये तो वक्त ही बताएगा!
लेकिन इस प्रस्ताव को तालिबान द्वारा नकारे जाने के बाद ट्रम्प तरह बौखला गए हैं और अब धमकी पर उतर आए हैं. ट्रम्प ने ट्रुथसोशल पर अपने पोस्ट में लिखा की अगर अफगानिस्तान, बगराम एयरबेस को अमेरिका को नहीं देता है तो बहुत बुरा होने वाला है.












