हमेशा पुरुष ही गलत नहीं होता है! महिलाओं का सम्मान होना ही चाहिए लेकिन महिला होने का फायदा उठाकर पुरुषों को प्रताड़ित करने वाली महिलाओं से ऐतराज है इस समाज को! अपने ढोंग और निजी स्वार्थ में महिलाओं के अधिकारों की लड़ाई को कमजोर मत करो!
भाजपा प्रदेश के प्रवक्ता ने एक ट्वीट करके एक विडियो शेयर किया है, जिसमें उन्होंने सुबूतों के साथ राजनैतिक महत्वकांक्षा के वशीभूत होकर टुकड़े गैंग के एक स्वघोषित प्रौढ़ युवा बुद्धिजीवी द्वारा सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिए आजमा रहे वाहियात हथकंडों की धज्जियाँ उड़ा दी! साथ ही उन्होंने इस विडियो में अपने साथ अकारण हुई ज्यादती और उत्पीड़न की दास्ताँ भी बयान किया है!
Sharing my #HeToo Story with all the Proofshttps://t.co/noMVZlZPCy
— Tajinder Pal Singh Bagga (@TajinderBagga) October 27, 2018
क्या महिला होने की वजह से सस्ती पब्लिसिटी के लिए किसी के भी आत्मसम्मान को ठोकर मारने का आपको अधिकार मिल जाता है? इस पुराने मामले में ताजा विवाद पैदा करने वाली एक ऐसी ही एक महिला है JNU की छात्रा Shehla Rashid जिन्हें शायद “भारत तेरे टुकड़े होंगे गैंग” के उद्भव से पहले कोई नहीं जानता था, अचानक से इस गैंग के उद्भव के साथ सस्ती लोकप्रियता हासिल कर लेती है और लुटियंस मीडिया और वामपंथी गिरोह की चहेती बन जाती है! अब इस सस्ती लोकप्रियता को बरकार रखने के लिए सस्ते हथकंडे भी अपनाने पड़ते हैं, जिसे वो अक्सर ट्विटर के जरिए आजमाते रहती है! इस कड़ी में दुसरे के कंधे पर पैर रखकर उपर चढ़ने के फ़िराक में वो एक दिन वो ये ट्वीट करती है!
Now, Ms. Deshmukh, if you are satisfied, can I please ask you to support Dr. Jwala Gurunth who had filed a case of sexual harassment against BJP spokesperson Tajinder Bagga?https://t.co/aoYyQ87UYt
— Shehla Rashid (@Shehla_Rashid) October 25, 2018
इस ट्वीट के बाद Tajinder Bagga ने विडियो के जरिए सुबूत के साथ न सिर्फ अचानक से पैदा हुए इस अर्ध अलगावादी वामपंथी तारिका के सस्ती लोकप्रियता को बरकार रखने के वाहियात हथकंडों की धज्जियाँ उड़ा देते हैं बल्कि सस्ती लोकप्रियता हासिल करने वाले इस पूरे गिरोह को भी मैदान छोड़ने पर विवश कर देते हैं! हालाँकि ये अभी तय नहीं है की ये विवाद फिर कोई क़ानूनी रस्ते पर जाएगा या चिप गिरोह यहीं मैदान छोड़ देता है लेकिन बात इसकी नहीं है की उन्होंने सफाई दी या आरोप लगाने वालों की धज्जियाँ उड़ाई या नहीं, मामला क़ानूनी रुख लेगा या नहीं! बात इसकी है की अगर कोई सुबूत था तो पहले जब मामला कोर्ट में था तब सुबूत क्यों नहीं दिए? या अब भी सोशल मीडिया पर सस्ते ट्वीट करने के बजाय मामला दर्ज करके कोर्ट में सुबूत क्यों नहीं देते? और हमेसा पुरुषों को ही बेवजह सफाई क्यों देना पड़ता है?
तजिंदर बग्गा के पेश किए सुबूत कितने सही और गलत हैं ये इसी बात से पता चलता है की ये एक पुराना विवाद है जो न्यायिक प्रक्रियाओं से होकर गुजर चूका है! इस विवाद में सच और झूठ क्या है ये सब माननीय न्यायलय के समक्ष से होकर निकला है! कौन सत्य के साथ खड़ा रहा और कौन झूठ के साथ मैदान छोड़कर भाग रहा इन सब बातों पर न्यायलय की मुहर लग चूकी है, ऐसे में सिर्फ सोशल मीडिया पर सस्ती लोकप्रियता के लिए आरोप लगाना और फिर भाग लेना कहाँ तक जायज है?
Sharing Mr. Bagga’s response to Dr. Gurunath’s accusations, in the interest of fairness. Of course, @DrJwalaG is welcome to respond to this or file a new complaint, if she feels she didn’t get justice.https://t.co/mR6YqeNs13
— Shehla Rashid (@Shehla_Rashid) October 25, 2018
महिलाओं का सम्मान हमारी संस्कृति का हिस्सा है, हमारी संस्कृति में महिलाओं को देवी का दर्जा दिया जाता है, लेकिन इसका ये कतई मतलब नहीं है की पुरुषों का कोई आत्मसम्मान नहीं होता, पुरुषों में भी नारायण का वाश माना जाता है! ये बुरका, हलाला, तीन तलाक, मुताह निकाह जैसी महिला विरोधी धारणाएँ भारत की संस्कृति का हिस्सा नहीं बल्कि आयातित धारणाएँ है! हमारी संस्कृति में महिला और पुरुष दोनों का सम्मान समान रूप से है! अब महिलाओं को ही तय करना पड़ेगा की ऐसे लोगों के साथ करना चाहिए जो महिला होने का फायदा उठाकर निजी स्वार्थ के लिए उनके अधिकारों की लड़ाई को कमजोर करता है! वरना एक दिन ऐसा आएगा जब चीख चीख के आरोप लगाती रहोगी तो कोई विश्वास नहीं करेगा!
महिलाओं का सम्मान होना चाहिए तो वेवजह पुरुषों को भी परेशान नहीं करना चाहिए! किसी के लिए आरोप प्रत्यारोप का ये खेल सस्ती लोकप्रियता हासिल करने का तरीका हो सकता है, राजनैतिक रोटियां सेंकने का जरिया हो सकता है या बदला लेने का नायाब नुस्खा हो सकता है; लेकिन किसी दुसरे दुसरे मानस के लिए ये उसके जान, माल और आत्मसम्मान को चोट पहुँचाने वाला घातक प्रहार साबित हो सकता है! किसी को सच में SC/ST जैसे कानून और Me Too जैसे आवाज की जरुरत है न्याय पाने के लिए, इसे गलत तरीके से प्रयोग करके इसकी ताकत को कमजोर मत करो!
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