Atal Bihari Vajpayee : अटल बिहारी वाजपेयी के विचार, कार्य और संक्षिप्त जीवन परिचय

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भारत के दसवें अटल बिहारी वाजपेयी ( Atal Bihari Vajpayee ) जी कवि, विचारक, पत्रकार, राजनीतिज्ञ, प्रखर वक्ता और बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। उनका जन्म 25 दिसंबर 1924 को मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले में हुआ था। इनकी माता का नाम कृष्णा देवी और पिता का नाम कृष्णा बिहारी बाजपेयी था।

 

व्यक्तिगत जीवन :

उत्तर प्रदेश में आगरा जनपद के प्राचीन स्थान बटेश्वर के मूल निवासी पण्डित कृष्ण बिहारी वाजपेयी जी मध्य प्रदेश के ग्वालियर में अध्यापक थे। वहीं 25 दिसंबर 1924 को अटल जी का जन्म हुआ था। अटल जी की बी॰ए॰ की शिक्षा ग्वालियर के विक्टोरिया कालेज में हुई। छात्र जीवन से वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक बने और तभी से राष्ट्रीय स्तर की वाद-विवाद प्रतियोगिताओं में भाग लेते रहे। उन्होंने कानपुर के डीएवी कॉलेज से राजनीति शास्त्र में एम॰ए॰ की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की! और पढ़ें : पं मदन मोहन मालवीय जी के विचार और संक्षिप्त जीवन परिचय

 

उसके बाद उन्होंने अपने पिताजी के साथ-साथ कानपुर में ही एल॰एल॰बी॰ की पढ़ाई भी प्रारम्भ की लेकिन उसे बीच में ही विराम देकर पूरी निष्ठा से संघ के कार्य में जुट गये। डॉ॰ श्यामा प्रसाद मुखर्जी और पंडित दीनदयाल उपाध्याय के निर्देशन में राजनीति का पाठ तो पढ़ा ही, साथ-साथ पाञ्चजन्य, राष्ट्रधर्म, दैनिक स्वदेश और वीर अर्जुन जैसे पत्र-पत्रिकाओं के सम्पादन का कार्य भी कुशलता पूर्वक करते रहे। अटल जी आजीवन अविवाहित रहे, परन्तु इन्होंने नमिता भट्टाचार्य को गोद लिया था! अटल जी के साथ नमिता और उनके पति रंजन भट्टाचार्य रहते थे! भारत के विकास में किये गये योगदान तथा असाधारण कार्यों के लिये 2015 में उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया।

 

राजनीतिक जीवन :

आजादी से पहले इन्होने अपने राजनीतिक सफर की शुरुवात एक स्वतंत्रता सेनानी के रूप में की और बहुत से बड़े-बड़े नेताओं के साथ काम किया। आजादी के बाद इन्होंने सन् 1955 में पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ा परन्तु सफलता हासिल नहीं हुयी। इसके बाद सन् 1957 में बलरामपुर, उत्तरप्रदेश से जनसंघ की ओर से विजय प्राप्त की। ये सन् 1968 से 1973 तक भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष रहे। बाद में वे जनता पार्टी के नेतृत्व में बनी मोरारजी देसाई की सरकार में सन 1977 से 1979 तक विदेश मंत्री रहे। परंतु जनता पार्टी से असंतुष्ट होकर 1980 ईo में इन्होंने पार्टी छोड़ दी।

 

इसके बाद 06 अप्रैल 1980 को इन्होंने लालकृष्ण आडवाणी और भैरो सिंह शेखावत के साथ मिलकर भारतीय जनता पार्टी की स्थापना की। 1984 के लोकसभा चुनाव में इनकी पार्टी 02 सीटों पर चुनाव जीती। वहाँ से संघर्ष करते हुए भाजपा आगे बढती गई और सन् 1993 में ये संसद में विपक्ष के नेता बने। सन् 1995 में इन्हे प्रधानमंत्री पद का प्रत्याशी घोषित किया गया! अटल जी तीन बार भारत के प्रधानमंत्री रहे, पहले 16 मई 1996 से 1 जून 1996 तक, दूसरी बार 19 मार्च 1998 से 13 अक्टूबर 1999 तक, फिर तीसरी बार 13 अक्टूबर से 22 मई 2004 तक भारत के प्रधानमंत्री रहे। उनके नेतृत्व में देश ने प्रगति के नए आयाम छुए!

 

अटल जी पहले गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री थे, जिन्होंने प्रधानमंत्री पद पर 5 वर्ष बिना किसी समस्या के पूरे किये! उन्होंने 24 दलों के गठबंधन से सरकार बनाई थी, जिसे उन्होंने सफलतापूर्वक चलाया भी। लेकिन सन् 2004 में कार्यकाल पूरा होने से पहले सम्पन्न कराये गये लोकसभा चुनावों में भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबन्धन ने वाजपेयी के नेतृत्व में चुनाव लड़ा, लेकिन इस चुनाव में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला। ऐसी स्थिति में वामपंथी दलों के समर्थन से काँग्रेस ने भारत की केन्द्रीय सरकार पर कायम होने में सफलता प्राप्त की और भाजपा विपक्ष में बैठने को मजबूर हुई। 2005 से वे राजनीति से संन्यास ले चुके थे और नई दिल्ली में 6-ए कृष्णामेनन मार्ग स्थित सरकारी आवास में रहते थे। और पढ़ें : नरेन्द्र मोदी विकी, बायोग्राफी, उम्र, करियर और संक्षिप्त जीवन परिचय

 

प्रधानमंत्री के रूप में उनके कुछ प्रमुख कार्य :

परमाणु परिक्षण : अटल सरकार ने 11 और 13 मई 1998 को पोखरण में पाँच भूमिगत परमाणु परीक्षण विस्फोट करके भारत को परमाणु शक्ति संपन्न देश घोषित कर दिया। इस कदम से उन्होंने भारत को निर्विवाद रूप से विश्व मानचित्र पर एक सुदृढ वैश्विक शक्ति के रूप में स्थापित कर दिया। यह सब इतनी गोपनीयता से किया गया कि अति विकसित जासूसी उपग्रहों व तकनीक से संपन्न पश्चिमी देशों को इसकी भनक तक नहीं लगी। यही नहीं इसके बाद पश्चिमी देशों द्वारा भारत पर अनेक प्रतिबंध लगाए गए लेकिन वाजपेयी सरकार ने सबका दृढ़तापूर्वक सामना करते हुए आर्थिक विकास की ऊँचाईयों को छुआ।

 

पाकिस्तान से संबंध सुधारने की पहल : 19 फरवरी 1999 को सदा-ए-सरहद नाम से दिल्ली से लाहौर तक बस सेवा शुरू की गई। इस सेवा का उद्घाटन करते हुए प्रथम यात्री के रूप में वाजपेयी जी ने पाकिस्तान की यात्रा करके नवाज़ शरीफ से मुलाकात की और आपसी संबंधों में एक नयी शुरुआत की!

 

कारगिल युद्ध : संबंध सुधरने के अटल जी के तमाम प्रयासों के बावजूद पाकिस्तान ने अपनी फितरत के मुताबिक बदले में धोखा ही दिया! लाहौर यात्रा के कुछ ही समय पश्चात पाकिस्तान के तत्कालीन सेना प्रमुख परवेज़ मुशर्रफ की शह पर पाकिस्तानी सेना व उग्रवादियों ने कारगिल क्षेत्र में घुसपैठ करके कई पहाड़ी चोटियों पर कब्जा कर लिया। अटल सरकार ने पाकिस्तान की सीमा का उल्लंघन न करने की अंतरराष्ट्रीय सलाह का सम्मान करते हुए धैर्यपूर्वक किंतु ठोस कार्यवाही करके भारतीय क्षेत्र को मुक्त कराया।

 

स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना : भारत के चारों कोनों को सड़क मार्ग से जोड़ने के लिए स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना की शुरुआत की गई। इसके अंतर्गत दिल्ली, कलकत्ता, चेन्नई व मुम्बई को राजमार्गों से जोड़ा गया। ऐसा माना जाता है कि अटल जी के शासनकाल में भारत में जितनी सड़कों का निर्माण हुआ, उतना आजाद भारत के किसी भी प्रधानमंत्री के काल में नहीं हुआ!

 

अटल सरकार के कुछ अन्य प्रमुख कार्य :

  1. एक सौ वर्ष से भी ज्यादा पुराने कावेरी जल विवाद को सुलझाया।
  2. संरचनात्मक ढाँचे के लिये कार्यदल, सॉफ्टवेयर विकास के लिये सूचना एवं प्रौद्योगिकी कार्यदल, विद्युतीकरण में गति लाने के लिये केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग आदि का गठन किया।
  3. राष्ट्रीय राजमार्गों एवं हवाई अड्डों का विकास, नई टेलीकॉम नीति तथा कोकण रेलवे की शुरुआत करके बुनियादी संरचनात्मक ढाँचे को मजबूत करने वाले कदम उठाये।
  4. राष्ट्रीय सुरक्षा समिति, आर्थिक सलाह समिति, व्यापार एवं उद्योग समिति भी गठित कीं।
  5. आवश्यक उपभोक्ता सामग्रियों के मूल्योंं को नियन्त्रित करने के लिये मुख्यमंत्रियों का सम्मेलन बुलाया।
  6. सन 2001 में सर्व शिक्षा अभियान की शुरुआत की!
  7. उड़ीसा के सर्वाधिक निर्धन क्षेत्र के लिये सात सूत्रीय निर्धनता उन्मूलन कार्यक्रम शुरू किया।
  8. आवास निर्माण को प्रोत्साहन देने के लिए अर्बन सीलिंग एक्ट समाप्त किया।
  9. ग्रामीण रोजगार सृजन एवं विदेशों में बसे भारतीय मूल के लोगों के लिये बीमा योजना शुरू की।

 

मृत्यु :

इनका निधन 16 अगस्त 2018को दिल्ली के एम्स में हो गया। 17 अगस्त 2018 को हिंदू रीति-रिवाज के तहत उनकी दत्तक पुत्री नमिता भट्टाचार्यने मुखाग्नि दी। उनकी अंतिम यात्रा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत सैंकड़ों नेतागण पैदल चलते हुए अंतिम यात्रा स्थल तक पहुंचे! भारत सरकार ने सात दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की। अमेरिका, चीन, बांग्लादेश, ब्रिटेन, नेपाल, जापान समेत कई राष्ट्रों द्वारा उनके निधन पर दुःख जताया गया! इनकी अस्थियों का विसर्जन हरि की पौड़ी के साथ-साथ भारत की अन्य प्रमुख नदियों में किया गया। इनकी समाधि राजघाट के निकट शांति वन में बनाई गयी है।

 

जीवन परिचय :

जन्म तिथि / मृत्यु : 25 दिसंबर 1924 / 16 अगस्त 2018
उपनाम : भीष्म, अटल जी, बाप जी
पूरा नाम / वास्तविक नाम / अन्य नाम : अटल बिहारी वाजपेयी / Atal Bihari Vajpayee
जन्म स्थान : ग्वालियर, मध्य प्रदेश
नागरिकता / राष्ट्रीयता : भारतीय
गृह नगर : उत्तर प्रदेश
लम्बाई : 168 सेमी
धर्म / जाति : हिन्दू / ब्राह्मण
राशि : मकर
शिक्षा / शैक्षिक योग्यता : बीo एo, एम्o एo
स्कूल / विद्यालय : गवर्नमेंट हायर सेकेंडरी स्कूल, गोरखी, ग्वालियर
महाविद्यालय  /  विश्वविद्यालय : विक्टोरिया कॉलेज, ग्वालियर; दयानंद एंग्लो वैदिक कॉलेज, कानपुर
पेशा / व्यवसाय : राजनेता / कवि
वैवाहिक स्थिति : अविवाहित
पत्नी / प्रेमिका / गर्लफ्रेंड  : ज्ञात नहीं
संतान : नमिता भट्टाचार्य (गोद ली हुई)
माता – पिता : माता – कृष्णा देवी, पिता – कृष्णा बिहारी बाजपेयी
भाई – बहन  : भाई – अवध बिहारी वाजपेयी, प्रेम बिहारी वाजपेयी, सुदा बिहारी वाजपेयी; बहन – उर्मिला मिश्रा, विमला मिश्रा, कमला देवी
शौक / अभिरुचि : कविता लेखन, संगीत सुनना, खाना बनाना
पसंदीदा राजनेता  : डॉ श्यामा प्रसाद मुख़र्जी, पी वी नरशिम्हा राव
पसंदीदा व्यंजन / भोजन: पूरी कचौरी, गाजर का हलवा, मालपुआ, खिचड़ी, खीर
पसंदीदा लेखक  : प्रेमचंद, शरतचंद्र चट्टोपाध्याय
पसंदीदा गायक / संगीतकार  : एस डी वर्मन, लता मंगेशकर
पसंदीदा अभिनेता  : संजीव कुमार, दिलीप कुमार
पसंदीदा अभिनेत्री : सुचित्रा सेन, नूतन, राखी, हेमा मालिनी
पसंदीदा फिल्म  : देवदास, बंदिनी, तीसरी कसम, मौसम, ममता, आंधी, गाँधी
पसंदीदा गाना  : ओ मेरे मांझी, ओ बंधू रे, कभी कभी मेरे दिल में

 

अटल जी की कुछ प्रमुख प्रकाशित रचनाएँ इस प्रकार हैं :

 

अटल जी की कुछ प्रमुख टिप्पणियाँ :

  1. भारत को लेकर मेरी एक दृष्टि है- ऐसा भारत जो भूख, भय, निरक्षरता और अभाव से मुक्त हो।
  2. क्रान्तिकारियों के साथ हमने न्याय नहीं किया, देशवासी महान क्रान्तिकारियों को भूल रहे हैं, आजादी के बाद अहिंसा के अतिरेक के कारण यह सब हुआ।
  3. मेरी कविता जंग का ऐलान है, पराजय की प्रस्तावना नहीं। वह हारे हुए सिपाही का नैराश्य-निनाद नहीं, जूझते योद्धा का जय-संकल्प है। वह निराशा का स्वर नहीं, आत्मविश्वास का जयघोष है।

 

सम्मान एवं पुरस्कार :

 

अटल बिहारी वाजपेयी के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक जानकारियां :

 

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