भारतीय संसद के दोनों सदनों से स्वीकृत होने के बाद और राष्ट्रपति के हस्ताक्षर होने बाद बने इस वक्फ एक्ट 2025 के कई सारे प्रावधानों पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ कानून के उन प्रावधानों पर रोक लगा दी है, जिनके अनुसार किसी संपत्ति को तब तक वक्फ भूमि नहीं माना जाएगा, जब तक कि सरकारी भूमि पर अतिक्रमण के विवाद का निर्णय सरकार के नामित अधिकारी द्वारा नहीं कर लिया जाता। सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 के उस प्रावधान पर भी रोक लगा दी है जिसके तहत वक्फ बनाने के लिए किसी व्यक्ति को 5 साल तक इस्लाम का अनुयायी होना ज़रूरी था। यह प्रावधान तब तक के लिए स्थगित कर दिया गया है जब तक राज्य सरकारें यह तय करने के लिए नियम नहीं बना लेतीं कि कोई व्यक्ति इस्लाम का अनुयायी है या नहीं।
सुप्रीम ने वक्फ एक्ट 2025 पर सुनवाई करते हुए अपने आदेश में कहा – हमने माना है कि पूर्वधारणा हमेशा क़ानून की संवैधानिकता पर आधारित होती है और अत्यंत दुर्लभ मामलों में ही ऐसा किया जा सकता है। हमने पाया है कि पूरे अधिनियम को चुनौती दी गई है, लेकिन मूल चुनौती धारा 3(आर), 3सी, 14 थी। हमने 1923 के अधिनियम से विधायी इतिहास का अध्ययन किया है और प्रत्येक धारा के लिए प्रथम दृष्टया चुनौती पर विचार किया है और पक्षों को सुना है, पूरे क़ानून के लिए कोई आधार नहीं बनाया गया था। लेकिन जिन धाराओं को चुनौती दी गई है, उन पर हमने स्थगन आदेश दिया है।
जिन प्रावधानों पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाई है उनमें निम्नलिखित प्रमुख है :
1. धारा 3r – इस्लाम धर्म का पालन करने के 5 साल तक के नियम तब तक स्थगित रहेंगे जब तक राज्य सरकारें इसके निर्धारण हेतु तंत्र प्रदान करने हेतु नियम नहीं बना लेतीं। तंत्र के अभाव में, शक्तियों का मनमाना प्रयोग होगा।
2. धारा 3सी का प्रावधान- ऐसी संपत्ति को तब तक वक्फ संपत्ति नहीं माना जाएगा जब तक कि नामित अधिकारी अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं कर देता। यदि पदाभिहित अधिकारी यह निर्धारित करता है कि संपत्ति सरकारी संपत्ति है, तो वह राजस्व अभिलेखों में आवश्यक सुधार करेगा तथा इस संबंध में राज्य सरकार को रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा। इस पर आदेश देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा –
कलेक्टर को अधिकार निर्धारित करने की अनुमति देना शक्तियों के पृथक्करण के खिलाफ है, कार्यपालिका को नागरिकों के अधिकार निर्धारित करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। जब तक नामित अधिकारी द्वारा निष्कर्षों को अंतिम रूप नहीं दिया जाता है, तब तक संपत्ति के अधिकार प्रभावित नहीं होंगे। जब तक धारा 3सी के अनुसार वक्फ संपत्ति के स्वामित्व का मुद्दा अंतिम रूप से तय नहीं हो जाता, तब तक न्यायाधिकरण द्वारा धारा 83 के तहत शुरू की गई कार्यवाही और उच्च न्यायालय के अगले आदेशों के अधीन, न तो वक्फ को संपत्ति से बेदखल किया जाएगा और न ही राजस्व रिकॉर्ड और बोर्ड के अभिलेख प्रभावित होंगे। हालाँकि, धारा 3सी के तहत जाँच शुरू होने पर, और धारा 83 के तहत अंतिम निर्धारण तक, और अपील में उच्च न्यायालय के अगले आदेशों के अधीन, ऐसी संपत्तियों के संबंध में किसी भी तृतीय-पक्ष के अधिकार का सृजन नहीं किया जाएगा।
3. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि धारा 9 के तहत केंद्रीय वक्फ परिषद में 20 में से चार गैर-मुस्लिम सदस्य नहीं होंगे। इसी तरह, धारा 14 के तहत राज्य बोर्डों के लिए यह निर्देश दिया जाता है कि इसमें 11 में से तीन से अधिक गैर-मुस्लिम सदस्य नहीं होंगे।
4. धारा 23- जिसके प्रावधान के खिलाफ मुस्लिम पक्ष की मांफ थी पदेन अधिकारी मुस्लिम समुदाय से होना चाहिए। इस पर सुप्रीम ने आदेश दिया की यद्यपि हम धारा 23 पर रोक लगाने के पक्ष में नहीं हैं, फिर भी हम निर्देश देते हैं कि जहां तक संभव हो, बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी, जो मुस्लिम समुदाय में से पदेन सचिव हो, की नियुक्ति के लिए प्रयास किए जाने चाहिए।













