अलीगढ़ में चंद्रावती देवी और उसके परिवार ने SC/ST Act और योजनाओं का दुरुपयोग कर 10 सालों में 15 झूठे केस दर्ज कराए और मुआवजे के तौर पर सरकार से करीब 46 लाख रुपए हड़प लिए। उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ से एक बेहद चौंकाने और हैरान करने वाला मामला सामने आया है। अलीगढ़ के हस्तपुर गाँव की रहने वाली एक महिला चंद्रावती देवी और उनके परिवार पर आरोप है कि उन्होंने अनुसूचित जाति के शोषण को रोकने के लिए बनाए गए कानून SC/ST Act और अनुसूचित जाति के लिए बनी विभिन्न योजनाओं का गलत फायदा उठाकर करीब 46 लाख रुपए की रकम हड़प ली। आइए जानते हैं विस्तार से की पूरा मामला क्या है?
भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस का कहना है कि पिछले 10 सालों में चंद्रावती देवी और उनके परिवार के खिलाफ 15 अलग-अलग केस दर्ज किए गए हैं। इनमें से कई मामले SC/ST एक्ट, 1989 के तहत दर्ज हुए हैं। इस कानून के तहत, पीड़ितों को आर्थिक सहायता और कानूनी सुरक्षा दी जाती है। जांच में ये आरोप लगा है कि चंद्रावती और उनका परिवार बार-बार झूठे केस दर्ज कर इन योजनाओं का लाभ उठाता रहा और अब तक करीब 46 लाख रुपए की रकम हासिल कर चुका है।
राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य डॉ अर्चना मजूमदार ने इस पूरे मामले को गंभीर मानते हुए, राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष किशोर मकवाना को पत्र लिखा है। उन्होंने इस मामले की गहन जाँच और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की माँग की है। NCSC अब इस मामले की जाँच करेगा। SC/ST Act का दुरुपयोग करने पर कड़ी सजा का प्रावधान है। यदि कोई व्यक्ति झूठा मुकदमा दर्ज कराता है या सरकारी मदद लेता है, तो उसे 6 महीने से 7 साल तक की जेल और जुर्माना हो सकता है। इसके अलावा, यदि वित्तीय धोखाधड़ी साबित होती है, तो उस पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 के तहत कार्रवाई हो सकती है, जिसमें 7 साल की सजा और संपत्ति जब्ती भी शामिल है।
सरकारी योजनाओं से धन उगाही या लोगों से वसूली का ये कोई पहला मामला नहीं है। 2018 में भी अलीगढ़ में ऐसा ही एक मामला सामने आया था, जहाँ एक दलित परिवार ने झूठे केस से 3 लाख रुपए मुआवजा लिया था। यह मामला सिर्फ एक गाँव तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरे देश में SC/ST योजनाओं के दुरुपयोग की गंभीरता को उजागर करता है। इस तरह धन वसूली के लिए इस कानून के दुरुपयोग का मामला अब आम हो चूका है! इस कानून का उपयोग शोषण रोकने या क़ानूनी सहायता में कम और शोषण करने और धन सोधन में ज्यादा हो रहा है! मामला चाहे कुछ भी हो, लोगों को इस एक्ट की धमकी देकर डराया जाता है! इस कानून का दुरुपयोग अब इतना विकराल रूप ले चूका है की अब समाज में इसे आम तौर इसे समाज में वसूली एक्ट का नाम दिया जाने लगा है!
SC/ST Act का दुरुपयोग न केवल कानूनी अपराध है, बल्कि यह सामाजिक न्याय की अवधारणा को भी कमजोर करता है। ऐसे मामलों से न सिर्फ वास्तविक पीड़ितों को समय पर न्याय और सहायता मिलने में बाधा उत्पन्न होती है, बल्कि समाज के अन्य वर्गों में समानता के संवैधानिक अधिकार के प्रति अविश्वास पैदा होता है. ऐसे मामले संविधान और न्याय व्यस्था में उम्मीद को भी कमजोर करता है. इस तरह के मामले से समाज में भाईचारे भी कमजोर होता है, और आपसी सामजिक वैमनस्य को भी जन्म होता है।
अब समय की मांग है की सरकार को इस तरह के योजनाओं की सख्त निगरानी और सत्यापन प्रक्रिया अपनानी चाहिए, ताकि वास्तव में जरूरतमंद लोगों तक मदद तो पहुँचे लेकिन धोखेबाज लोग इस तरह के फर्जीवाड़ा और वसूली को अपना धंधा न बना सकें। इसके आलावा ऐसी व्यवस्था भी बने, जिसमें दलितों को शोषण से सुरक्षित भी रखा जा सके, लेकिन वर्तमान SC ST Act का दुरुपयोग किसी निर्दोष को फंसाने या धन उगाही के लिए भी न हो!