War or Air Raid Siren | पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवादियों के द्वारा पहलगाम में क्रूर आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान के साथ बढ़े तनाव को देखते हुए, गृहमंत्रालय के निर्देश पर पूरे देश के अनेक राज्यों और जिलों में इमरजेंसी मॉक ड्रिल किया जाएगा। इस दौरान लोगों को एयर रेड की सावधान करने वाला सायरन सुनाई देगा। इसके अलावे होस्टाइल होने के स्थिति में नागरिकों और स्टूडेंट्स को क्या करना है, ये बताया जाएगा. ब्लैक आउट की तैयारी भी की जाएगी. इसके अलावे महत्वपूर्ण इंस्टालेशन को कैसे बचाना है, कैसे कैमोफ्लेज करना है, तथा राहत और बचाव की तैयारियों को जांचा परखा जाएगा. लड़ाई के समय दुश्मन हवाई हमला करे या मिसाइल दागे तो उससे बचने के लिए सायरन बजाया जाता है। इसकी आवाज सुनकर लोग सुरक्षित स्थानों पर चले जाते हैं। इससे कम नुकसान होता है।
गृहमंत्रालय ने 7 मई को सिविल डिफेन्स की तैयारी टेस्ट करने के लिए कई राज्यों से मोक ड्रिल करने का कहा! जिसमें एयर रेड सायरन की तैयारी, होस्टाइल होने पर सिविलियन्स और स्टूडेंट्स की ट्रेनिंग, ब्लैक आउट की तैयारी, इंस्टालेशन का कैमोफ्लेज, और बचाव की पलानिंग की प्रैक्टिस एवं टेस्ट की… pic.twitter.com/bK2Ze7zcJm
— Ganga News (@ganganews) May 5, 2025
गृहमंत्रालय के निर्देश के बाद आज मुंबई के दादर के एंटनी डिसिल्वा हाई स्कूल का सायरन बजाकर तैयारियों का जायजा लिया गया। इस दौरान कुछ देर तक युद्ध का सायरन बजता रहा। इसी तरह श्रीनगर में भी डल झील में मॉक ड्रिल की तैयारियां की गईं। गुजरात समेत अन्य कई राज्यों में 7 मई को मॉक ड्रिल करके संभावित युद्ध की तैयारियों को पुख्ता किया जाएगा।
युद्ध के दौरान सायरन बजाने का क्या मतलब होता है?
युद्ध के समय जब युद्ध का सायरन बजता है तो उसके कई मायने होते हैं। जैसे- हवाई हमले की वार्निंग के लिए सायरन बजाया जाता है। किसी आपात स्थिति में अलर्ट करने के लिए भी सायरन का इस्तेमाल होता है, ताकि लोग खुद को सुरक्षित कर लें. इसके अलावा एयरफोर्स के साथ रेडियो संपर्क को चालू करने के लिए, हमले के दौरान सिविल डिफेंस की तैयारियों की जांच के लिए, हमले के दौरान ब्लैकआउट एक्सरसाइज के लिए और कंट्रोल रूम की तैयारियों की जांच के लिए भी ये सायरन बजाए जाते हैं।
युद्ध के दौरान सायरन की आवाज सुनाई देने पर क्या करें?
बुधवार अगर वार सायरन सुनाई दे तो घबराने की जरूरत नहीं है, अभी यह सिर्फ एक अभ्यास है भविष्य की तैयारियों के लिए। लेकिन पाकिस्तान के साथ लड़ाई शुरू होने के बाद अगर यह वार सायरन सुनाई दे तो इसका मतलब है कि खतरा है। ऐसे में आम नागरिकों को क्या करना चाहिए, चलिए जानते हैं :
युद्ध का सायरन बजे तो क्या करें?
- सायरन बजे तो बिल्कुल भी पैनिक न हों।
- सायरन बजते ही खुले इलाकों से हट जाएं।
- सबसे पहले अपने परिवार सहित सुरक्षित स्थानों की तरफ जाएं और बचें।
- 5 से 10 मिनट में सेफ लोकेशन पर पहुंचे।
- टीवी, रेडियो या सरकारी ऐप पर अपडेट लें।
- अफवाहों से बचें और हमेशा आधिकारिक निर्देशों का ही पालन करें।
युद्ध वाले सायरन या एयर रेड की सायरन को कैसे पहचानें, अन्य आवाज और सायरन की आवाज में क्या होता है फर्क?
युद्ध के समय जो युद्ध या एयर रेड का सायरन बजेगा, वह एक तेज आवाज वाला चेतावनी सिस्टम है, जिसका उपयोग हवाई हमले या अन्य आपात स्थितियों के दौरान लोगों को अलर्ट करने के लिए किया जाता है. यह आमतौर पर एक विशिष्ट, बढ़ती और घटती चीख वाली आवाज होती है, जो एम्बुलेंस या गाड़ी के हॉर्न की आवाज से अलग होती है. यह सायरन 2 से 5 किमी दूर तक सुनाई देगा। यह सायरन 120-140 डेसिबल तक का आवाज करता है। इसका मकसद होता है युद्ध, आपात स्थिति या एयर स्ट्राइक की सूचना हमले से पहले देना।
कहां लगाए जाते हैं वार सायरन?
वार सायरन को शहर के ऊंची जगह या सरकारी भवनों पर लगाया जाता है ताकि इसकी आवाज दूर तक सुनाई दे, जैसे :
- सरकारी इमारतें
- पुलिस मुख्यालय
- अग्निशमन स्टेशन
- सैन्य अड्डे
- शहरों में भीड़भाड़ वाले सार्वजनिक क्षेत्र
भारत में आखिरी बार कब बजा था वार सायरन?
- 1962 में चीन के साथ लड़ाई के दौरान सायरन का प्रयोग किया गया था
- 1965 और 1971 में पाकिस्तान के साथ लड़ाई के दौरान भी इसका प्रयोग किया गया था
- 1999 में कारगिल संघर्ष के दौरान सिमित स्तर पर सिर्फ सीमावर्ती इलाके में प्रयोग किया गया था.
युद्धकाल में देशवासियों को सेना के साथ कंधे से कंधा मिलाकर कार्य करना पड़ता है. सेना सीमा पर युद्ध लडती है तो जागरूक नागरिक और सिविल सोसाइटीज घर के अंदर सप्लाई चैन बनाना, प्रोपगंडा के खिलाफ लड़ाई लड़ना, घायल नागरिकों और सैनिकों के राहत बचाव, घायलों के इलाज, ब्लड डोनेशन कैंप आदि लगाकर भी हम राष्ट्र की सेवा और सेना की सहायता कर सकते हैं. लेकिन इससे भी ज्यादा हम युद्धकाल के दौरान अनुशासन से सेना और सरकार के निर्देशों का पालन करके भी कर सकते हैं. वीर भोग्या वसुंधरा!