Bimashankar Jyotirlinga Darshan | भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग मंदिर दर्शन | धर्मं, अध्यात्म, प्रकृति का अद्भुत संगम | भीमाशंकर मंदिर, महाराष्ट्र के पुणे जिले में स्थित है। मंदिर के बाहर, पहाड़ों और उनके ऊपर प्राचीन किलों से घिरा एक वन क्षेत्र है, जहाँ दुर्लभ वनस्पति और जीव-जंतु पाए जाते हैं। सह्याद्री पहाड़ियों में स्थित भीमाशंकर (Bimashankar) मंदिर आध्यात्मिकता, इतिहास और मनमोहक प्राकृतिक सौंदर्य का एक अद्भुत संगम है। भगवान शिव के बारह प्रतिष्ठित ज्योतिर्लिंगों में से एक यह पवित्र मंदिर लाखों भक्तों के आकर्षण का केंद्र है। यह मंदिर भारत की समृद्ध सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत का प्रमाण है।
एक पौराणिक कथाओं के अनुसार, त्रिपुरा की तपस्या से प्रसन्न होकर, ब्रह्मा जी प्रकट हुए और उसे तीन इच्छाएँ प्रदान कीं। जिसके बाद त्रिपुरा ने तीनों लोकों पर विजय प्राप्त करने के लिए एक अभियान शुरू किया और देवताओं के राजा इंद्र को भी पराजित कर दिया। जिसके बाद इंद्र ने भगवान शिव को तपस्या से प्रसन्न किया। तब भगवान शिव ने इसी सह्याद्रि पर्वत की चोटी पर “भीम शंकर” का रूप धारण किया था और त्रिपुरा से युद्ध कर उसका विनाश किया सबको उसके आतंक से मुक्त किया. वहीँ दूसरी पौराणिक कथा के अनुसार भगवान् शंकर ने जिस असुर का वध किया था उसका नाम था भिमासुर, और कुम्भकर्ण का पुत्र था। पौराणिक कथाओं में ये भी कहा जाता है की युद्ध के बाद भगवान् शंकर के शरीर से निकले पसीने से भीमरथी नदी का निर्माण हुआ।
भीमाशंकरम (Bimashankar) तीर्थस्थल और भीमरथी नदी का उल्लेख 13वीं शताब्दी के लेखों में मिलता है, हालाँकि, मंदिर का वर्तमान स्वरुप तो उतना पुराना नहीं दीखता है, जिसका कारण ये बताया जाता है की इसका जीर्णोधार कई काल खंड किया जाता रहा है, जिसमें प्राचीन नागर शैली में बने मंदिर के वास्तुकला में मराठा शासकों द्वारा बाद में किए गए जीर्णोधार की छाप भी देखी जा सकती है. मंदिर के ऐतिहासिक अभिलेखों से पता चलता है कि इसे चालुक्य और पेशवा सहित कई राजवंशों का संरक्षण प्राप्त था, जिन्होंने इसके रखरखाव में योगदान दिया। शिवाजी महाराज ने मंदिर को खरोसी गाँव दान में दिया था, ताकि उससे मंदिर के नित्य धार्मिक अनुष्ठान का प्रबंध होता रहे।
मंदिर के स्तंभ और चौखट देवताओं और मानव आकृतियों की जटिल नक्काशी से आच्छादित हैं। मंदिर की दीवारों पर भी उत्कृष्ट नक्काशी की गई है, जिसमें हिंदू देवी-देवताओं, दिव्य प्राणियों और पौराणिक कथाओं को दर्शाया गया है, जो उस युग की अद्वितीय कला को दर्शाती है। मंदिर के गर्भगृह के ठीक मध्य में स्वयंभू ज्योतिरलिंग स्थित है, और शिवलिंग के सामने नंदी की एक मूर्ति है। मुख्य मंदिर के पास कमलजा माता का मंदिर है, जो देवी पार्वती का अवतार हैं और जिन्होंने त्रिपुरासुर के साथ युद्ध में भगवान् शिव की सहायता की थी। मंदिर के पीछे मोक्षकुंड तीर्थ है। मंदिर में जाने से पहले इस कुंड में स्नान करने की प्रथा है। मंदिर परिसर में भगवान शनि को समर्पित एक छोटा मंदिर भी है। इसके अलावे, यहाँ ज्ञानकुंड और सर्वतीर्थ भी है। मंदिर के दक्षिण में कुषारण्य तीर्थ स्थित है, जहाँ से भीमा नदी बहती है।
अगर भीमाशंकर (Bimashankar) के दर्शन के बाद आस पास घुमाने का मन करे तो मंदिर के पास भीमाशंकर वन्यजीव अभयारण्य है, जो प्रकृति प्रेमियों के लिए आकर्षण का केंद्र है। यहाँ की हरियाली, घने जंगल और मनोरम झरने इसे ट्रैकिंग और इको-टूरिज्म के लिए एक आदर्श स्थान बनाते हैं। इसके अलावे भीमाशंकर मंदिर के पास ही गुप्त भीमाशंकर, हनुमान झील, भोरगिरी किला जैसे अन्य कई पर्यटक स्थल हैं, जहाँ घुमा जा सकता है.
अगर बात करें भीमाशंकर पहुँचने की तो यहाँ का सबसे निकटतम हवाई अड्डा पुणे (Pune) अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है, जो यहाँ से 125 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है। पुणे से निजी टैक्सी या बस के द्वारा यहाँ पहुंचा जा सकता है। यहाँ का निकटतम रेलवे स्टेशन कर्जत है, जो यहाँ से लगभग 65 किमी दूर है, जहाँ से टैक्सी या बस के जरिए यहाँ पहुंचा जा सकता है। अगर मुख्या शहरों की बात करें तो यह मुंबई से 223 किमी, पुणे से 125 किमी और नासिक से 230 किमी दूर है। Bhimashankar Jyotirlinga Darshan | Mharashtra Tourism | Incredible India | Hindu Temple Pilgrimage