भारतीय संविधान में न्यायपालिका की व्यवस्था एवं अधिकार

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सर्वोच्च न्यायालय या उच्चतम न्यायालय : भारत की न्यायिक व्यवस्था इकहरी और एकीकृत है, जिसके सर्वोच्च शिखर पर भारत का उच्चतम न्यायालय है! उच्चतम न्यायालय की स्थापना, गठन, अधिकारिता, शक्तियों के विनियमन से संबंधित विधि निर्माण की शक्ति भारतीय संसद को प्राप्त है! उच्चतम न्यायालय का गठन संबंधी प्रावधान (अनुच्छेद 124) में दिया गया है! उच्चतम न्यायालय में एक मुख्य न्यायाधीश तथा 30 अन्य न्यायाधीश होते हैं! (शुरुआत में कुल 8 न्यायाधीश होते थे)! न्यायाधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति के द्वारा होती है! न्यायाधीश बनने की न्यूनतम आयु निर्धारित नहीं है, लेकिन इनके अवकाश ग्रहण करने की आयु सीमा 65 वर्ष है! उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश को संसद के प्रत्येक सदन में विशेष बहुमत से पारित समावेदन के आधार पर राष्ट्रपति के द्वारा हटाये जा सकते हैं!

 

उच्चतम न्यायालय न्यायाधीश के लिए योग्यताएं :

  1. वह भारत का नागरिक हो
  2. वह किसी भी उच्च न्यायालय अथवा दो या दो से अधिक न्यायालयों में लगातार कम से कम 5 वर्षों तक न्यायाधीश के रूप में कार्य कर चूका हो! या किसी उच्च न्यायालयों या न्यायालयों में लगातार 10 वर्षों तक अधिवक्ता रह चूका हो! या राष्ट्रपति की दृष्टि में कानून का उच्च कोटि का ज्ञाता हो!

 

उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश अवकाश प्राप्त करने के बाद भारत में किसी भी न्यायालय या किसी भी अधिकारी के सामने वकालत नहीं कर सकते हैं! उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों को पद एवं गोपनीयता की शपथ राष्ट्रपति दिलवाता है! मुख्य न्यायाधीश, राष्ट्रपति की पूर्व स्वीकृति लेकर दिल्ली के अतिरिक्त अन्य किसी स्थान पर सर्वोच्च न्यायालय की बैठकें बुला सकता है!

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उच्चतम न्यायालय का क्षेत्राधिकार :

1 प्रारंभिक क्षेत्राधिकार : (i) भारत संघ तथा एक या एक से अधिक राज्यों के मध्य उत्पन्न विवादों में!  (ii) भारत संघ तथा कोई एक राज्य या अनेक राज्यों और एक या एक से अधिक राज्यों के बिच विवादों में!  (iii) दो या दो से अधिक राज्यों के बिच ऐसे विवाद में, जिसमें उनके वैधानिक अधिकारों का प्रश्न निहित है! प्रारंभिक क्षेत्राधिकार के अंतर्गत उच्चतम न्यायालय उसी विवाद को निर्णय के लिए स्वीकार करेगा, जिसमें किसी तथ्य या विधि का प्रश्न शामिल है!

 

2 अपीलीय क्षेत्राधिकार : देश का सबसे बड़ा अपीलीय न्यायालय उच्चतम न्यायालय है! इसे भारत के सभी उच्च न्यायालयों के निर्णयों के विरुद्ध अपील सुनने का अधिकार है! इसके अंतर्गत तीन प्रकार के प्रकरण आते हैं – (i) संविधानिक  (ii) दीवानी  (iii) फौजदारी

 

3 परामर्शदात्री क्षेत्राधिकार : राष्ट्रपति को यह अधिकार है की वह सार्वजनिक महत्व के विवादों पर उच्चतम न्यायालय का परामर्श मांग सकता है (अनुच्छेद 143)! न्यायालय के परामर्श को स्वीकार या अस्वीकार करना राष्ट्रपति के विवेक पर निर्भर करता है!

 

4 पुनर्विचार संबंधी क्षेत्राधिकार : संविधान के अनुच्छेद 137 के अनुसार सर्वोच्च न्यायालय को यह अधिकार प्राप्त है की वह स्वयं द्वारा दिए गए आदेश या निर्णय पर पुनर्विचार कर सके तथा यदि उचित समझे तो उसमें आवश्यक परिवर्तन कर सकता है!

 

5 अभिलेख न्यायालय : संविधान का अनुच्छेद 129 उच्चतम न्यायालय को अभिलेख न्यायालय का स्थान प्रदान करता है! इसका आशय यह है की इस न्यायालय का निर्णय सब जगह साक्षी के रूप में स्वीकार किया जाएगा और इसकी प्रमाणिकता के विषय में प्रश्न नहीं किया जाएगा!

 

6 मौलिक अधिकारों का रक्षक : भारत का उच्चतम न्यायालय नागरिकों के मौलिक अधिकारों का रक्षक है! अनुच्छेद 32 सर्वोच्च न्यायालय को विशेष रूप से उतरदायी ठहराता है की वह मौलिक अधिकारों को लागु कराने के लिए आवश्यक कार्रवाई करे! न्यायालय मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए बंदी प्रत्यक्षीकरण, परमादेश, प्रतिषेध, अधिकार पृच्छ लेख और उत्प्रेषण के लेख जारी कर सकता है! उच्चतम न्यायालय में संविधान के निर्वचन (Interpretation) से संबंधित मामले की सुनवाई के लिए न्यायधीशों की संख्या कम से कम पांच होनी चाहिए [अनुच्छेद 145(3)]

 

उच्च न्यायालय :

संविधान के अनुसार प्रत्येक राज्य के लिए एक उच्च न्यायालय होगा (अनुच्छेद 214), लेकिन संसद विधि द्वारा दो या दो से अधिक राज्यों और किसी किसी संघ राज्य क्षेत्र के लिए एक ही उच्च न्यायालय स्थापित कर सकता है (अनुच्छेद 231)! प्रत्येक उच्च न्यायालय का गठन एक मुख्य न्यायाधीश तथा अन्य न्यायाधीशों से मिलाकर किया जाता है! गुवाहाटी उच्च न्यायालय में सबसे कम और इलाहाबाद उच्च न्यायालय में सबसे अधिक न्यायाधीशों की संख्या है!

 

उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के लिए योग्यताएं :

  1. भारत का नागरिक हो
  2. कम से कम दस वर्ष तक न्यायिक पद धारण कर चूका हो अथवा किसी उच्च न्यायालय में एक से अधिक उच्च न्यायालयों में लगातार दस वर्षों तक अधिवक्ता रहा हो!

 

उच्च न्यायालय के न्यायाधीश को उस राज्य का राज्यपाल शपथ दिलाता है! उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों का अवकाश ग्रहण करने की अधिकतम आयु सीमा 65 वर्ष है! उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को उसी प्रकार से हटाया जा सकता है जैसे उच्चतम न्यायालय के न्यायधीशों को हटाया जाता है! जिस व्यक्ति ने उच्च न्यायालय के स्थायी न्यायाधीश के रूप में कार्य किया हो वो उस न्यायालय में वकालत नहीं कर सकता, लेकिन वो दुसरे उच्च न्यायालय अथवा उच्चतम न्यायालय में वकालत कर सकता है! उच्च न्यायालय भी एक अभिलेख न्यायालय होता है! भारत के मुख्य न्यायाधीश से परामर्श कर राष्ट्रपति उच्च न्यायालय के किसी भी न्यायाधीश का स्थानांतरण किसी दुसरे उच्च न्यायालय में कर सकता है!

 

उच्च न्यायालय का अधिकार क्षेत्र :

1 प्रारंभिक क्षेत्राधिकार : प्रत्येक उच्च न्यायालय को नौकाधिकरण, इच्छा पत्र, तलाक, विवाह, कम्पनी कानून, न्यायालय की अवमानना तथा कुछ राजस्व संबंधी प्रकरणों, नागरिकों के मौलिक अधिकारों के क्रियान्वयन (अनुच्छेद 226) के लिए आवश्यक निर्देश विशेषकर बंदी प्रत्यक्षीकरण, परमादेश, निषेध, उत्प्रेषण तथा अधिकार पृच्छ लेख जारी करने के अधिकार प्राप्त हैं!

2 अपीलीय क्षेत्राधिकार : फौजदारी मामलों में अगर सत्र न्यायाधीश ने मृत्युदंड दिया हो तो उच्च न्यायालय में उसके विरुद्ध अपील हो सकती है! दीवानी मामलों में उच्च न्यायालय में उन सभी मामलों की अपील हो सकती है, जो पांच लाख रूपये या उससे अधिक सम्पति से सम्बद्ध हो! उच्च न्यायालय पेटेंट और डीजाइन, उत्तराधिकार, भूमि प्राप्ति, दिवालियापन और संरक्षकता आदि मामलों में भी अपील सुनता है!

3 उच्च न्यायालय में मुकदमों का हस्तांतरण : यदि किसी उच्च न्यायालय को ऐसा लगे की जो अभियोग अधीनस्थ न्यायालय में विचाराधीन है, वह विधि के किसी सारगर्भित प्रश्न से सम्बद्ध है तो वह उसे अपने यहाँ हस्तांतरित कर या तो उसका निपटारा स्वयं ही कर देता है या विधि से संबद्ध प्रश्न को निपटाकर अधीनस्थ न्यायालय को निर्णय के लिए वापस भेज देता है!

4 प्रशासकीय अधिकार : उच्च न्यायालयों को अपने अधीनस्थ न्यायालयों में नियुक्ति, पदावनति, पदोन्नति तथा छुट्टियों के संबंध में नियम बनाने का अधिकार है!

 

उच्च न्यायालय राज्य में अपील का सर्वोच्च न्यायालय नहीं है! राज्य सूचि से सम्बद्ध विषयों में भी उच्च न्यायालय के निर्णयों के विरुद्ध उच्चतम न्यायालय में अपील हो सकती है!

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