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Home विचार

सहिष्णुता के ठेकेदारों को आखिर दुसरों के विचार सहन क्यों नहीं होते?

by Pallavi Mishra
29 December 2019
in विचार
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जाधवपुर यूनिवर्सिटी में दीक्षांत समारोह में जा रहे महामहिम राज्यपाल को यह कह कर रोका जाता है कि यह BJP के एजेंट हैं क्योंकि यह CAA के समर्थन में ट्वीट करते हैं। CAA के समर्थन में ट्वीट करने वाले राज्यपाल अगर BJP के एजेंट हैं तो वह छात्र-छात्राएं और प्रोफेसर किसके एजेंट हैं, जो उसके विरोध में राज्यपाल को कैंपस में प्रवेश लेने नहीं देते, नारेबाज़ी करते हैं और उनके साथ अभद्रता करते हैं। क्या इन्हें TMC या अन्य विरोधी पार्टियों का एजेंट न माना जाए।

 

यानी अगर कोई इनके विचारधारा के, इनकी मान्यताओं और इनके इष्ट देवों के विरुद्ध होगा तो ये उसके साथ अभद्रता करेंगे, उसे बोलने नहीं देंगे, आने नहीं देंगे। कितने ज़्यादा असहिष्णु हैं! महामहिम राज्यपाल मोहम्मद आरिफ़ को बोलने, कहने न देना, कौन-सी सहिष्णुता का पाठ है जो वामपंथी राष्ट्रवादियों को पढ़ने की शिक्षा देते आए हैं? विगत दिनों से चल रही घटनाओं में सारी सहिष्णुता, समानता आदि आदि की असलियत सामने आ चुकी है।

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सदी के महानतम इतिहासकार बौखला कर कहते हैं कि आप अबुल कलाम को quote न करिये, गोडसे को करिए। जहाँ गोडसे को quote करने की ज़रूरत होगी, गोडसे को भी quote किया जाएगा, ऐसा क्या है कि इरफान हबीब के डर से गोडसे को quote नहीं करेंगे। इससे ज्यादा आवश्यक बात यह कि यह इरफ़ान हबीब नहीं बताएंगे कि महामहिम राज्यपाल को किसे quote करना है, किसे नहीं। अबुल कलाम पर इरफ़ान हबीब का कोई आधिपत्य या कॉपीराइट नहीं है। इतने वर्षों से आपके एक पक्षीय एजेंडा को पढ़ने,सुनने में हमने तो ऐसी अराजकता कभी नहीं दिखाई,जब एक सिरे से आप एक समृद्ध संस्कृति को नकारते रहे, उसे हेय दृष्टि से देखते और दिखाते रहे।

 

हालांकि गोडसे को quote करने का महामहिम का कोई इरादा भी नहीं था न होगा पर गोडसे का नाम लेकर उन्हें चिढ़ाने या provoke करने का अधिकार इतिहासकार हबीब को बिल्कुल नहीं है। अगर मोपला में हज़ारों हिंदुओ की हत्या करवाने वाले और उनकी हत्या के समर्थक रहे गाँधी अहिंसक हैं और उन्हें पढ़ा, पढ़ाया जा सकता है, अगर उनकी हत्या के प्रतिशोध में हुई हज़ारों ब्राह्मणों की हत्या उनके गांधीवादी विचारधारा की सहिष्णुता है तो उनके समर्थकों को गोडसे को quote करने पर विरोध दर्ज़ करने का कोई अधिकार नहीं है।

 

हर ग़लत बात को नैरेटिव चला कर, एजेंडा के तहत सही साबित करने की कोशिश, किसी एक वर्ग द्वारा की गई हिंसा को अनदेखा कर, क्रिमिनल्स को सही या कमज़ोर ज़रूरतमंद दिखा देने की मानसिकता और अपने एजेंडा को स्थापित करने को किसी भी अन्य बात, विचार को स्पेस न देने की मानसिकता इनका हिंसक अत्यधिक असहिष्णु और वहशी होना दिखाता है।

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